कोरोना वायरस ने अब पंजाब में रोजी-रोटी के लिए आए प्रवासी मजदूरों को भी पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। बड़ी तादाद में वे पैदल घरों को लौट रहे हैं। खासतौर से वे जो लॉकडाउन और राज्य में जारी अनिश्चितकालीन कर्फ्यू के चलते उन फैक्ट्रियों और औद्योगिक परिसरों में काम करते थे, जहां अब ताले लटक गए हैं। इन मजदूरों के लिए केंद्र सरकार के दावे कदम-कदम पर खोखले साबित हो रहे हैं। कई मजदूर तो एक से डेढ़ हजार किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगे।
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इन्हीं मजदूरों में से एक रमेश यादव बताते हैं कि उनके काफिले में शामिल तमाम 150 के करीब परिवार लुधियाना की अलग-अलग फैक्ट्रियों में काम करते थे। लॉकडाउन और कर्फ्यू के बाद वहां ताले लग गए। वे घर जाना नहीं चाहते थे, लेकिन मकान मालिकों ने उन्हें घर से निकाल दिया, क्योंकि वो भी जानते थे कि ये अब किराया नहीं दे पाएंगे। ये सभी लोग उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के अगल-अलग गांवों से हैं। उधर, पलायन को लेकर लुधियाना के उपायुक्त प्रदीप अग्रवाल से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने भी चुप्पी साध ली।
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आपको बता दें, लुधियाना औद्योगिक नगरी है। 29 मार्च को मोहाली में ऐसे सैकड़ों मजदूरों की कतारें देखीं गईं, जो शहर छोड़ कर उत्तर प्रदेश और बिहार तथा अन्य अपने मूल राज्यों को जाने की कोशिश कर रहे थे। कुछ लोगों को सरकारी राशन के पैकेट जरूर बांटे गए, लेकिन उन जैसे मजदूर परिवारों तक नहीं पहुंचे जो वहां छोटे-छोटे कमरों में बड़ी तादाद में रहते हैं। किशन के साथ एक वार्ड में 11 मजदूर रहते थे। अब काम न मिलने के चलते उन्हें खाने पीने की बेहद ज्यादा दिक्कत आने लगी तो पलायन ही एकमात्र रास्ता नजर आया।
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जालंधर में भी यही आलम है। कर्फ्यू लगने के बात प्रवासी मजदूर घरों को लौटने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के रहने वाले शिवराम अपने साथियों के साथ पैदल गांव जा रहे हैं। वह कहते हैं कि सहारनपुर तक ऐसे ही पैदल जाएंगे और उसके बाद बस या कोई और साधन मिल गया तो ठीक वरना यह सफर पैदल ही जारी रहेगा। आपको बता दें, कोरोना वायरस के अबतक 1000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अब तक इस महामारी से भारत में 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं पंजाब की बात करें तो राज्य में 35 से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हैं।
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