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छत्तीसगढ़ सरकार की बड़ी सफलता, नोबेल विजेता अभिजीत करेंगे राज्य का आर्थिक विकास मॉडल बनाने में मदद

अमेरिका दौरे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एमआईटी कैंब्रिज में नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी से मुलाकात की और उनसे राज्य के आर्थिक विकास के लिए सरकार के विभिन्न प्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। बनर्जी ने नवाचार के इन सफल प्रयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी ली।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अनुरोध स्वीकार करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने जुलाई में छत्तीसगढ़ आने की सहमति दे दी है। वह नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी, हाट बाजार क्लिनिक योजना, सुपोषण अभियान और एथेनाल प्रोजेक्ट की बेहतरी के लिए अपनी राय भी छत्तीसगढ़ सरकार को देंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल फरवरी के दूसरे-तीसरे हफ्ते में अमेरिका दौरे पर गए थे। अभिजीत बनर्जी से उनकी मुलाकात एमआईटी कैम्ब्रिज में हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री और उनकी टीम ने छत्तीसगढ़ राज्य के आर्थिक विकास के विभिन्न प्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। बनर्जी ने नवाचारों के इन सफल प्रयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी ली और आर्थिक विकेंद्रीकरण के लिए विशेष चिह्नित इलाकों को क्लस्टर अप्रोच से डिजाइन करने और इसके अनुरूप इसकी निगरानी पर जोर दिया।

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अमेरिका दौरे के दौरान विभिन्न अवसरों पर बघेल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल पर जानकारी दी। उन्होंने विस्तार से बताया कि इस माॅडल ने किस तरह वैश्विक मंदी के असर से यहां के लोगों को बचाए रखा है। वहां के लोगों और शोधकर्ताओं की इसमें खास रुचि भी दिखी। बघेल ने विस्तार से बताया कि नई उद्योग नीति में उद्योगों की स्थापना के उद्देश्य से अनुकूल वातावरण बनाने के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं। पिछड़े क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए विशेष रियायतें दी जा रही हैं। कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी जा रही है।

इसके अलावा आधुनिक तकनीक पर आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस आधार को समझकर अमेरिका में मौजूद भारतीय-अमेरिकियों और अमेरिका के स्थानीय उद्योगपतियों ने छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए रुचि दिखाई। राज्य में कोर सेक्टर, आईटी, फूड प्रोसेसिंग, जैव-विविधता सहित अनेक क्षेत्रों में निवेश कीअपार संभावनाएं हैं। बघेल और उनके साथ गई टीम ने सिलिकॉन वैली और रेड वुड शोर्स में ऑटो ग्रिड सिस्टम के औद्योगिक प्रतिनिधियों और निवेशकों से भी चर्चा की।

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यात्रा के दौरान बघेल ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ’लोकतांत्रिक भारत में राजनीति व जाति’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक मजबूती के लिए मनखे-मनखे (हर व्यक्ति) एक समान का मंत्र दोहराया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कैसे विभिन्न जातियां और समुदाय सामाजिक सौहार्द और आपसी सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ रहे हैं और प्रदेश की उन्नति सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में जाति-व्यवस्था है, लेकिन जातीय वैमनस्यता कहीं दिखाई नहीं देती।

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यहां मुख्यमंत्री बघेल ने अपने उद्बोधन की शुरुआत स्वामी विवेकानंद के उस वाक्य से की जिसमें उन्होंने कहा थाः मैं उस देश का प्रतिनिधि हूं, जिसने मनुष्य में ईश्वर को देखने की परंपरा को जन्म देने का साहस किया था। जीव में ही शिव है और उसकी सेवा ही ईश्वर की सेवा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सवाल भी पूछे। जवाब के दौरान बघेल ने नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी योजना के बारे में भी विस्तार से बताया। मुख्यमंत्री का भाषण इतना प्रभावकारी रहा कि उन्हें फिर हार्वर्ड आने का न्योता दिया गया। खास बात यह भी है कि भूपेश बघेल हार्वर्ड में भाषण देने वाले छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री हैं।

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