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पंजाब में BJP के छूट रहे पसीने, गांवों में प्रचार करना भी हुआ मुश्किल

पंजाब में बीजेपी के विरोध की भूमिका किसान संगठनों ने मार्च के महीने में तैयार कर ली थी। 24 मार्च को बठिंडा में बीजेपी बूथ महोत्सव के दौरान किसानों के विरोध के कारण प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को निर्धारित संबोधन तक रद्द करना पड़ा था।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पंजाब की तासीर ही दिल्‍ली की धारा के विपरीत बहने की है, जिसे केंद्र के हुक्‍मरान समझने के लिए तैयार नहीं हैं। जनवरी 2022 में फिरोजपुर के एक फ्लाईओेवर से वापस लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले पर एक नई कहानी गढ़ सच पर पर्दा डाला गया था। अभी भी भाजपा यही कर रही है। किसान आंदोलन में सैकड़ों किसानों की शहादत देने वाले पंजाब के किसान आज भी हरियाणा के शंभू और डबवाली बार्डर पर बैठे हैं। 13 फरवरी से दिल्‍ली-पंजाब मुख्‍य हाईवे बंद है। रेल सेवाएं ठप हैं। किसानों ने पंजाब के गांवों में भाजपा प्रत्‍याशियों के लिए नो एंट्री लागू कर दी है। पटियाला से भाजपा उम्‍मीदवार परनीत कौर का विरोध करने के दौरान एक किसान की मौत से हंगामा और बरपा है। गांवों में भाजपा प्रत्‍याशियों का इस तरह विरोध पंजाब में भाजपा के भविष्‍य के सपने भी बुरी तरह धराशायी कर रहा है।

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पंजाब में बीजेपी पहली बार अकेले चुनाव लड़ रही है। शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ रही बीजेपी की ख्‍वाहिश पंजाब में अकेले दम पर सरकार बनाना है। लेकिन हालात ऐसे हैं कि वर्तमान में पंजाब में 2 सांसदों वाली बीजेपी के लिए यह प्रदर्शन दोहराना भी चुनौती है। पंजाब में इस तरह हो रहे भारी विरोध की बीजेपी ने कभी कल्‍पना नहीं की होगी। गांवों में विरोध के बीच जिस तरह बीजेपी प्रत्‍याशी कार्यक्रम छोड़ पुलिस सुरक्षा में बमुश्किल निकल पा रहे हैं, वह भगवा दल के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। पटियाला से बीजेपी उम्‍मीदवार पूर्व सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की पत्‍नी परनीत कौर का विरोध करते हुए 4 मई को एक किसान की मौत ने बीजेपी को और बैकफुट पर धकेल दिया है। राजपुरा के गांव सेहरा में परनीत कौर का किसान विरोध कर रहे थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान 45 वर्षीय किसान सुरिंदरपाल सिंह जमीन पर गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सुरिंदरपाल गांव आकड़ी के रहने वाले थे। किसानों ने आरोप लगाया कि परनीत कौर के गनमैन ने किसानों के साथ धक्कामुक्की की। इसी दौरान सुरिंदरपाल सिंह गिरे और उनकी मौत हो गई। बीजेपी इसकी सफाई में कह रही है कि किसान की मौत अपने आप गिरने से हुई है। परनीत कौर के खिलाफ यह पहला विरोध प्रदर्शन नहीं था। इससे पहले समाना, पातड़ां और बनूड़ में चुनाव प्रचार के दौरान भी किसानों ने परनीत कौर का इसी तरह विरोध किया था।

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हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में गए रवनीत सिंह बिट्‌टू को भी इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा है। जगराओं के गांव मल्ला डल्ला, काउंके कलां, लक्खा व हठूर में प्रचार के लिए निकले बिट्‌टू ने किसानों का गुस्सा देख कर गुरूद्वारा नानकसर कलेरा में माथा टेक कर वापस लुधियाना जाने में ही अपनी भलाई समझी।

दिल्‍ली छोड़कर पंजाब के फरीदकोट से प्रत्‍याशी बनाए गए सूफी गायक हंस राज हंस का विरोध तो इससे भी ज्‍यादा है। मोगा के गांव सिंघा वाला, डेमरू, कस्बा अजीतवाल, बाघा पुराना व धर्मकोट में किसान के भारी विरोध का सामना उन्‍हें करना पड़ा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों की कई जगह पुलिस के साथ झड़प की भी नौबत आई है। पुलिस ने किसानों को हिरासत में भी लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान फरीदकोट-कोटकपूरा हाईवे पर भी हंसराज हंस के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं।

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अमृतसर से बीजेपी के उम्मीदवार पूर्व आईएफएस अधिकारी तरणजीत सिंह संधू को मजीठा में किसानों ने घेर लिया। किसान मजदूर संघर्ष कमटी के सरवन सिंह पंधेर का कहना था कि तरणजीत सिंह संधू मजीठा के हमजा चौक के पास ग्रीन पैलेस में प्रचार के लिए पहुंचे थे। किसानों ने उन्‍हें बातचीत का न्योता भेजा था, लेकिन वे नहीं आए। हम उनसे शांतिपूर्वक बातचीत करना चाहते थे। दरअसल, उनके पास किसानों के सवालों का कोई जवाब नहीं है। यही नहीं पूरी बीजेपी के पास उनके सवालों के जवाब नहीं हैं। इसलिए, पूरे पंजाब में बीजेपी के नेता जहां भी प्रचार के लिए जाएंगे, उनका विरोध किया जाएगा। इससे पहले किसानों ने तरणजीत सिंह संधू को अजनाला में घेरा था। किसानों के विरोध के बाद तरनजीत सिंह संधू को केंद्र सरकार ने वाई प्लस सिक्योरिटी दे दी है। बरनाला में बीजेपी नेता अरविंद खन्ना का भारतीय किसान यूनियन उग्राहा ने विरोध किया।  

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गुरदासपुर से फिल्‍म स्‍टार सनी देओल का टिकट काटकर प्रत्‍याशी बनाए गए दिनेश बब्‍बू को किसानों ने सठियाली पुल पर घेर लिया। दोरांगला में गुरुद्वारा श्री टाहली साहिब में मत्‍था टेकने जा रहे दिनेश बब्बू का गांव गाहलडी अड्डे पर भारतीय किसान यूनियन डंकोदा के किसानों ने विरोध किया। उन्हें काली झंडियां भी दिखाई गईं। गुरदासपुर में दिनेश बब्बू और फतेह सिंह बाजवा से आमने-सामने सवाल किए। बीजेपी सरकार की तरफ से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर की गई कार्रवाई पर सवाल किए। किसानों ने पूछा कि उन्हें बीजेपी ने आतंकवादियों से जोड़ दिया। इतना ही नहीं, अपनी ही राजधानी में प्रदर्शन करने जा रहे किसानों पर हरियाणा सरकार ने टीयर गैस और गोलियां दागीं। भारतीय किसान यूनियन उग्राहा के जिला अध्यक्ष चमकौर सिंह नैणेवाल का कहना था कि हमारा मकसद बीजेपी नेताओं से सवाल करना है। बीजेपी ने पंजाब के किसानों को दिल्ली नहीं पहुंचने दिया और अब पंजाब के किसान भाजपाइयों को गांवों में घुसने नहीं देंगे। जालंधर से बीजेपी प्रत्‍याशी सुशील कुमार रिंकू का विरोध करने पर उन्‍होंने इसे दलित भाईचारे और बाबा साहब अंबेडकर का अपमान बताने की कोशिश की।  

बठिंडा से बीजेपी उम्‍मीदवार पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर का मानसा में विरोध होने पर पुलिस और किसानों के बीच धक्का-मुक्की हुई। किसानों के सवालों का परमपाल कौर जवाब नहीं दे सकीं।

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बीजेपी के साथ अडानी के सेलो प्‍लांट का भी किसान विरोध कर रहे हैं। मोगा के डगरू गांव के पास बने अडानी सेलो प्लांट के बाहर संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले भारतीय किसान यूनियन एकता उग्रहा ने प्रदर्शन किया। किसान नेता बलौर सिंह का कहना था कि सरकार मंडियों को बंद करवाना चाहती है और गेहूं की खरीद प्राइवेट हाथों में सौंपना चाहती है। पंजाब सरकार 26 नए सेलो प्लांट खोलने जा रही है, जो सभी कारपोरेट घरानों के हाथों में होंगे। अबोहर में गैर राजनीतिक किसान मजदूर मोर्चा ने कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में खड़ी सरकारों के खिलाफ विशाल पैदल मार्च निकाला। किसान नेता गुणवंत सिंह पंजावा और निर्मल सिंह का कहना था कि किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर, डबवाली और रत्नपुर बॉर्डर पर बैठे हैं। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने शांतिपूर्वक संघर्ष कर रहे किसानों पर अंधाधुंध गैस और रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं। मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन किया है। सीधे सिर में गोली लगने से एक युवा किसान शुभकरण शहीद हो गया। फाजिल्‍का में किसान प्रदर्शन कर चुके हैं। भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री का पुतला यहां फूंका। खनौरी बॉर्डर पर किसानों पर अत्याचार करने व एक युवा किसान की मौत को लेकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया गया। भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर के प्रगट सिंह चक्क पक्खी का कहना था कि बीजेपी नेताओं को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा।

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इससे पहले किसानों ने बीजेपी से पूछे जाने वाले सवालों के पोस्टर तैयार कर लिए थे। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने अमृतसर के गांव चब्बा से पोस्टर लगाने की मुहिम शुरू की थी। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी इन पोस्टर्स पर शहीद किसान शुभकरण की फोटो लगाई गई थी। किसानों की 12 मांगें लिखने के साथ पोस्‍टर में लिखा गया था कि क्या मांगा था और क्या मिला।

पंजाब में बीजेपी के विरोध की भूमिका किसान संगठनों ने मार्च के महीने में तैयार कर ली थी। 24 मार्च को बठिंडा में बीजेपी बूथ महोत्सव के दौरान किसानों के विरोध के कारण प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को निर्धारित संबोधन तक रद्द करना पड़ा था। बीजेपी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी होने के साथ ही पंजाब के गांवों में बीजेपी नेताओं की एंट्री को किसानों ने बैन करना शुरू कर दिया था। संगरूर जिले के नामोल गांव में बीजेपी नेताओं की गांवों में एंट्री बैन के पोस्टर सबसे पहले सामने आए थे। साथ ही गांव के गुरुद्वारों से अनाउंसमेंट्स की जा रही थी। इसमें बीजेपी नेताओं को इलाके में वोट न मांगने की चेतावनी दी जा रही थी। गिद्दड़बाहा के भारू गांव में भी दीवारों पर बीजेपी की निंदा करने वाले पोस्टर दिखे थे। मालवा के कई गांवों में इसी तरह किसान अपना विरोध जता रहे थे। वह बीजेपी नेताओं को अपने समुदायों में प्रवेश करने से रोकने की कसम खा रहे थे।

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दिल्‍ली की सीमाओें पर एक साल से अधिक चले किसान आंदोलन में संयुक्‍त किसान मोर्चा के बड़े चेहरे रहे बलबीर सिंह राजेवाल ने नवजीवन से विशेष बातचीत में कहा कि दिल्‍ली की सीमाओं पर हम 13 महीने बैठे रहे। हमें बीजेपी की सरकार ने दिल्‍ली प्रदर्शन करने नहीं जाने दिया, जो हमारा अधिकार था। सड़क पर कीलें लगा दी गईं। बेरीकेड लगा दिए गए। आज भी शंभू बार्डर पर किसान बैठे हैं। सड़क पर चलने का अधिकार भी हमसे बीजेपी की सरकार ने छीन लिया। युवा किसान शुभकरण को शहीद कर दिया। दिल्‍ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसान शहीद हो गए। राजेवाल का कहना है कि अब बीजेपी किस मुंह से हमसे वोट मांगने आ रही है। सवाल करने का अधिकार भी इन्‍होंने हमसे छीन लिया है। मतदान तक बीजेपी प्रत्‍याशियों का यह विरोध इसी तरह जारी रहेगा। 

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