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पुणे पुलिस का केस असहमति के खिलाफ राजनीतिक षड़यंत्र: गौतम नवलखा

महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार दंगों के असली अपराधियों को बचाना चाहती है और इसके लिए वह कश्मीर से केरल तक अपनी असफलताओं और घोटालों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया गोतम नवलखा

नक्सलियों से संबंध और भीमा-कोरेगांव हिंसा की साजिश में शामिल हेने के आरोप में देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किये गए 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक गौतम नवलखा ने कहा कि यह पूरा मामला इस कायर और प्रतिशोधी सरकार की राजनीतिक असहमतियों के खिलाफ एक राजनीतिक चाल है। उन्होंने कहा, “राजनीतिक लड़ाई राजनीतिक तरीके से लड़ी जानी चाहिए और मैं इस अवसर का स्वागत करता हूं। मेरा कुछ भी लेना-देना नहीं है। यह तो महाराष्ट्र पुलिस है, जो अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही है और मेरे और मेरे अन्य गिरफ्तार साथियों के खिलाफ अपने मामले साबित करने की कोशिश कर रही है।"

गौतम नवलखा ने कहा, ‘पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स' (पीयूडीआर) में हम लोग 40 वर्षो से भी अधिक समय से एकजुट और निडर होकर लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और इसके हिस्से के तौर पर मैंने ऐसे कई मामलों को कवर किया है। अब मैं खुद एक राजनीतिक लड़ाई का सामना करूंगा।"

गौतम नवलखा और चार अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और लेखकों को 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एक जनसभा आयोजित करने के मामले में पुणे पुलिस ने कई शहरों में छापे मारने के बाद 28 अगस्त को गिरफ्तार किया है, जिसमें कवि वरवर राव और वकील सुधा भारद्वाज भी शामिल हैं। उस जनसभा के अगले दिन पुणे से 60 किलोमीटर दूर भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी।

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