छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में कुपोषण के खिलाफ एक कदम के रूप में अब मध्यान्ह भोजन में गुणवत्तापूर्ण और ताजी सब्जियां बच्चों को देने के मकसद से विद्यालयों में ही किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया है। सूत्रों का कहना है कि सरकारी स्कूलों के जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द अपनी-अपनी संस्था में किचन गार्डन अनिवार्य रूप से बनाएं। जिन स्कूलों में किचन गार्डन नहीं बनेंगे, वहां के प्रभारी के साथ शिक्षकों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
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राज्य के लोक शिक्षण के संचालक एस़ प्रकाश का मानना है कि सभी स्कूलों में किचन गार्डन विकसित किए जाने से मध्यान्ह भोजन में हरी सब्जियां शामिल होने से मध्यान्ह भोजन की पौष्टिकता बढ़ेगी, और इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास अच्छी तरह से होगा।
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लोक शिक्षक के संचालक प्रकाश ने अधीनस्थ अधिकारियों से बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन में उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थो के उपयोग पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि जहां शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के प्रयास हों, वहीं स्कूल परिसर को साफ -सुथरा रखा जाए और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, इसके लिए बच्चों को चाकलेट बांटी जाए।
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बहरहाल, अब ये किचन गार्डन किस तरह तैयार होंगे, इसे कौन तैयार करेगा, ये कितने क्षेत्रफल में होंगे, इसका ब्यौरा फिलहाल सामने नहीं आया है।
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उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुपोषण पर पूर्व में चिंता जता चुके हैं। वह कुपोषण की तुलना राज्य की नक्सली समस्या तक से कर चुके हैं। यही कारण है कि कई स्थानों पर आंगनवाड़ी केंद्रों में अंडों का वितरण किया जाने लगा है।
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अब स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों को मध्यान्ह भोजन में उच्च गुणवत्तापूर्ण और ताजी हरी सब्जियां उपलब्ध करने के लिए स्कूलों में ही किचन गार्डन बनाने जा रही है। इसके तहत स्कूलों के परिसर में ही सब्जियां उगाई जाएंगी और उनका उपयोग मध्यान्ह भोजन में किया जाएगा।
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