
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बृहस्पतिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक से संबंधित संसदीय रिपोर्ट को धार्मिक भेदभाव पर आधारित तथा संविधान के मूल्यों के खिलाफ करार दिया और कहा कि सरकार को ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ के अपने नारे पर अमल करते हुए इस विधेयक को वापस लेना चाहिए।
बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यदि विधेयक को पारित किया गया तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा तथा अदालती लड़ाई भी लड़ी जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि सत्तापक्ष के दो प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगू देसम पार्टी (टीडीपी) ने इस विधेयक को पारित होने दिया तो उन्हें सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा।
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मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने यह बयान उस वक्त दिया जब वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट बृहस्पतिवार को लोकसभा और राज्यसभा के पटल पर रखी गई।
रहमानी ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि सरकार के पास अभी मौका है कि वह इस विधेयक को वापस लेकर सबका साथ, सबका विकास के अपने नारे पर अमल करे।’’
उनका कहना था, ‘‘यदि विधेयक संसद में पारित हुआ तो स्वीकार नहीं करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि वक्फ को लेकर कई तरह का झूठ फैलाया गया है, जबकि वक्फ संविधान में निहित अधिकार के तहत है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट धार्मिक भेदभाव पर आधारित है तथा इसमें मुस्लिम समुदायों द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल नहीं किया गया है।
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रहमानी ने कहा कि जितना अधिकार अन्य धर्मों का है, उतना मुस्लिम समुदाय का भी होना चाहिए।
रहमानी ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार को सच्चाई से चिढ़ है। झूठ बोलती है और झूठ फैलाती है।’’
उन्होंने कहा कि यह कोई हिंदू मुस्लिम की लड़ाई नहीं है, अल्पसंख्यक बहुसंख्यक की लड़ाई नहीं है, यह इंसाफ की लड़ाई है।
उनका यह भी कहना था कि उम्मीद है कि मजलूमों की इस लड़ाई में सभी लोग साथ देंगे।
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रहमानी ने यह दावा भी किया कि एक समुदाय को नुकसान पहुंचाने और दबाव में रखने के लिए यह समान नागरिक संहिता का राग छेड़ा गया है।
उन्होंने कहा, "हमें यह स्वीकार नहीं है। कानून के दायरे में रहकर हम किसी भी हद तक लड़ाई लड़ेंगे।’’
पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि फिलहाल बोर्ड की तरफ से मुस्लिम समुदाय और दूसरे समुदायों से जुड़े संगठनों के बीच वक्फ विधेयक को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार अपने कदम पीछे नहीं खींचती है तो आंदोलन समेत सभी संवैधानिक रास्तों को अपनाया जाएगा।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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