आजाद भारत में औसतन हर दूसरे-तीसरे दिन एक सफाईकर्मी की मौत गटर साफ करने के दौरान होती है। इस साल 9 सितंबर से लेकर अब तक देश भर में सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करते हुए 11 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं साल 2018 में अब तक देश भर में करीब 89 लोगों की मौत इस काम के दौरान हुई है, जिसके आंकड़े मौजूद हैं। इसी तरह 2017 में हुई 136 ऐसी मौतों का नाम और पते के साथ विस्तृत ब्यौरा भी मौजूद है। सफाई कर्मचारियों के लिए काम करने वाली संस्थाओं के हिसाब से हर साल ऐसी मौतें होती हैं, लेकिन केंद्र सरकार के पास इनका कोई आंकड़ा नहीं है। साल 2014 में आए सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद केंद्र सरकार ने इन मौतों को दर्ज करने का कोई तरीका ही नहीं विकसित किया है। इन मौतों को रोकने के लिए तो अभी तक एक भी ठोस पहल नहीं शुरू की गई है।
वहीं, नेशनल सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़ों के मुताबिक हर 5 दिन में एक सफाई कर्मचारी की मौत गटर में होती है। लेकिन इसमें सिर्फ 13 राज्यों के आंकड़े शामिल हैं। वहीं देश भर में मैला प्रथा के खात्मे और सीवर-सेप्टिक टैंक में मौतों को रोकने के लिए काम कर रहे संगठन- सफाई कर्मचारी आंदोलन ने देश भर से करीब 1800 ऐसी मौतों का आंकड़ा जुटाया है। ऐसा नहीं है की सफाई कर्मचारी आंदोलन ने इन आंकड़ों को अपने तक सीमित रखा है। इन आंकड़ों को आधार बनाकर लगातार वह सांसदों को पत्र लिखते रहे हैं। संसद के इस मानसून सत्र में भी उन्होंने इन मौतों पर गंभीर चिंता जाहिर करते हए तमाम सांसदों को पत्र लिखे हैं। पत्र में इन मौतों को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की बात कही गई है और सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2014 और 2013 के कानून को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई। हालांकि, इन सभी पत्रों का सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया। लेकिन कई मंत्रालयों की ओर से सवालिया पत्र जरूर आए, जिनमें इन आंकड़ों को एकत्र करने संबंधी सवाल पूछे गए और रिकॉर्ड की मांग की गई।
सफाई कर्मचारी आंदोलन के नेता बेजवाड़ा विल्सन का कहना है, “स्वच्छ भारत की वजह से सीवर में मौतों का आंकड़ा और बढ़ेगा क्योंकि इन तमाम शौचालयों से निकलने वाले मल-मूत्र के निस्तारण का कोई इंतजाम नहीं है। सेप्टिक टैंक और खुले नालों की संख्या बहुत अधिक है और सबकी सफाई इनसानों से ही कराई जा रही है। इन मौतों को रोकने के लिए कोई कदम सरकार नहीं उठा रही है, उसे सिर्फ और सिर्फ शौचालय निर्माण की चिंता है। यह शर्मनाक है।”
Published: undefined
एक तरफ सफाई कर्मियों की मौतों के बारे में केंद्र सरकारों और राज्यों सरकारों के पास आंकड़े नहीं हैं, लेकिन स्वच्छ भारत के तहत देश भर में बने शौचालयों के बारे में पल-पल के ब्यौरे सरकार के पास हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस समय हर घंटे 123 शौचालयों का निर्माण हो रहा है। साल 2017-18 के बजट के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन में ग्रामीण इलाकों का बजट 13,948 करोड़ रुपये और शहरी मिशन के लिए 2,300 करोड़ रुपये रखा गया है। लेकिन इसमें मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए महज 5 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined