
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भारी लिफ्ट प्रक्षेपण यान एलवीएम3-एम6 की उड़ान को लेकर छात्रों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। बड़ी संख्या में छात्र इसरो के इस मिशन की लॉन्चिंग का गवाह बनने के लिए पहुंचे।
एक छात्रा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "रॉकेट लॉन्च देखने के लिए उसके साथ कुल 30 छात्र-छात्राएं आए हैं। हम बहुत उत्साहित हैं। मुझे लगता है कि इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा कि यह सब कैसे काम करता है और रॉकेट वगैरह क्या होते हैं। मुझे लगता है कि इसरो बहुत अच्छा काम कर रहा है।"
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एक छात्र ने कहा, "हम एलवीएम-3 रॉकेट का लॉन्च देखने के लिए यहां हैं। यह अमेरिका का रिकमेंडेड सैटेलाइट (ब्लूबर्ड 6 सैटेलाइट) है। इसलिए मैं अपने स्कूल प्रशासन का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने हमें रॉकेट लॉन्च के बारे में जानने और लॉन्चिंग प्रोसेस कैसे काम करता है, यह समझने का मौका दिया।"
इसरो का एलवीएम-3 एम-6 मिशन सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 8.54 बजे लॉन्च हुआ। यह मिशन अमेरिका-बेस्ड एएसटी स्पेस मोबाइल के साथ एक कमर्शियल डील के तहत ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को ऑर्बिट में ले गया।
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यह मिशन अगली पीढ़ी के कम्युनिकेशन सैटेलाइट को ऑर्बिट में तैनात करेगा, जिसे दुनिया भर के स्मार्टफोन को सीधे हाई-स्पीड सेलुलर ब्रॉडबैंड देने के लिए डिजाइन किया गया है। ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 स्पेसक्राफ्ट एलवीएम-3 रॉकेट के इतिहास में लो अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च किया जाने वाला सबसे भारी पेलोड है, जिसका वजन 6.5 टन है। लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) सैटेलाइट 19 अक्टूबर को अमेरिका से भारत आया।
यह अमेरिका और इसरो के बीच दूसरा कोलेबोरेशन है। जुलाई में, इसरो ने 1.5 बिलियन डॉलर का नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार मिशन (निसार) सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिसका मकसद कोहरे, घने बादलों और बर्फ की परतों को भेदने की कैपेसिटी के साथ हाई-रिजॉल्यूशन अर्थ स्कैन लेना है।
एलवीएम-3 रॉकेट ने ही चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और 72 सैटेलाइट वाले दो वनवेब मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
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