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2019 के लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा होगी: यशवंत सिन्हा

राम मंदिर या संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर मतदाताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश काम नहीं आएगी।

फोटो: Getty images
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आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में नौकरियों की कमी एक बड़ा मुद्दा होगी।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर या संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर मतदाताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश काम नहीं आएगी।

यशवंत सिन्हा ने सरकार के नोटबंदी के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि अगर वह वित्तमंत्री होते तो हर हाल में इसका विरोध करते। उन्होंने कहा, "मुझे संतुष्टि है कि इस मुद्दे पर बहस हो रही है और काफी समझदारी भरा विचार-विमर्श हो रहा है। मैंने जो तथ्य और आंकड़े दिए हैं, मैं उन पर कायम हूं। मुझे अब तक हमारी अर्थव्यवस्था के संकटग्रस्त क्षेत्रों में सुधार का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा।"

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भारतीय मतदाता के बारे में कोई कयास नहीं लगाया जा सकता और 2004 के चुनाव को देखते हुए मैं यह जानता हूं।अर्थव्यवस्था में दो मुद्दे हैं। एक है नौकरियां और दूसरी बढ़ती कीमतें। भारतीय मतदाता को चिंता है कि युवाओं को नौकरी मिलेगी या नहीं। 2019 के चुनाव में रोजगार एक प्रमुख मुद्दा होगा। घर-घर बेरोजगारी से प्रभावित है।

उन्होंने आगे कहा, "आरबीआई ने दरों में संशोधन नहीं किया है। राजस्व की बात करें, तो यहां भी संकेत दर्शाते हैं कि अगर वे राजस्व नहीं बढ़ाते, तो इस वर्ष जिस प्रकार खर्च हो रहा है, राजस्व घाटा लक्ष्य से पार हो जाएगा।"

उन्होंने कहा, "भारतीय मतदाता के बारे में कोई कयास नहीं लगाया जा सकता और 2004 के चुनाव को देखते हुए मैं यह जानता हूं।" उन्होंने आगे कहा, "अर्थव्यवस्था में दो मुद्दे हैं। एक है नौकरियां और दूसरी बढ़ती कीमतें। भारतीय मतदाता को चिंता है कि युवाओं को नौकरी मिलेगी या नहीं। 2019 के चुनाव में रोजगार एक प्रमुख मुद्दा होगा। घर-घर बेरोजगारी से प्रभावित है।"

साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दे पर सिन्हा ने कहा, "इस प्रकार के ध्रुवीकरण का देशव्यापी स्तर पर कभी असर नहीं हुआ। यह बात निश्चित है कि या तो मंदिर निर्माण संबंधित पक्षों की रजामंदी से हो सकता है या फिर अदालत के फैसले से। ध्रुवीकरण हर बार काम नहीं करता।"

यशवंत सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार के बारे में एक ही बात अच्छी है कि अब तक उस पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे। हालांकि आम आदमी को इससे कोई लाभ नहीं होता। उसे कुशल प्रशासन से ही लाभ होता है। उन्होंने कहा, "इस मामले में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आम आदमी को कोई राहत नहीं है।"

यशवंत सिन्हा ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। उन्होंने शेयर बाजार के रुख का जिक्र किया और कहा कि यह अध्ययन का विषय है। आरबीआई ने कहा है कि वह बाजार की अस्थिरता दूर करेगा।

उन्होंने कहा, "एक खेमा कहता है कि रुपये का अवमूल्यन होने देना चाहिए क्योंकि इससे निर्यात प्रभावित हो रहा है। हमें कोई स्पष्ट नीति उभरती नजर नहीं आ रही।"

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यह एक लंबी बहस है कि नोटबंदी से क्या हासिल हो सकता है, क्या हुआ है और वैकल्पिक उपायों से क्या हासिल किया जा सकता है। हम दुनिया को बता रहे हैं कि हमारा देश चोरों और कालाबाजारियों का देश है। तथ्य यह है कि जहां तक नोटबंदी का सवाल है, उन्होंने भारी भूल की है।

उन्होंने कहा, "आर्थिक दृष्टि से, निर्यात गिर गया है, विदेशी मांग नहीं है। औद्योगिक मांग नहीं है। अर्थव्यवस्था में कुल मिलाकर मांग नहीं है। यह निजी निवेश न होने का एक कारण है। यह गंभीर स्थिति है क्योंकि आर्थिक विकास बढ़ती मांग के आधार पर ही होगा। इस सरकार के 3.5 वर्षो में कोई मांग नहीं ब।"

नोटबंदी के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "यह एक लंबी बहस है कि नोटबंदी से क्या हासिल हो सकता है, क्या हुआ है और वैकल्पिक उपायों से क्या हासिल किया जा सकता है।हम नकदरहित अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं। हमारे पास नकदरहित होने के कई उपाय हैं। मुझे लगता है कि आय से अधिक संपत्ति के 18 लाख मामले हैं और इन सभी मामलों में समय लगेगा। हम दुनिया को बता रहे हैं कि हमारा देश चोरों और कालाबाजारियों का देश है। तथ्य यह है कि जहां तक नोटबंदी का सवाल है, उन्होंने भारी भूल की है।"

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और इसे लागू किए जाने से उद्यमियों को होने वाली परेशानियों के सवाल पर उन्होंने कहा, "अब अचानक यह 1947 के बाद से अब तक का सबसे बड़ा सुधार बन गया है और वे इसका झुनझुना बजा रहे हैं। मुझे सचमुच कर व्यवस्था को लेकर उनके ज्ञान पर संदेह है।"

यशवंत सिन्हा ने कहा कि मांग पैदा करनी जरूरी है और सबसे पहले अर्थव्यवस्था में वस्तुओं की मांग के लिए निवेश पैदा करने की जरूरत है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, रोजगार के जरिए लोगों की जेब में पैसा आएगा, जिससे खपत वाली वस्तुओं की मांग बढ़ेगी। लेकिन फिलहाल यह नहीं हो रहा है।

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