बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के लोगों के मिलने पर सियासत गरमा गई है। आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्या वे गठबंधन सहयोगी बन गए हैं?
आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण पर बात करते हुए कहा, "इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता है। देश की एक संवैधानिक संस्था, जिस पर काफी भरोसा है। मैं पूछता हूं कि ये सूत्र क्या होता है? क्या उत्पात करने के लिए सूत्र का इस्तेमाल होगा? हमारे देश के मुख्य चुनाव आयुक्त से लेकर बिहार के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, लेकिन सूत्र की खबर को कौन प्लांट कर रहा है? बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण के नाम पर अराजकता फैली हुई है। पत्रकारों को बिहार में धमकियां भी मिल रही हैं।"
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उन्होंने आगे कहा, "अगर बिहार में एक भी बांग्लादेशी या विदेशी का नाम मतदाता लिस्ट में मिला है तो इसका जिम्मेदार कौन है? मैं तो कहूंगा कि अगर ऐसा हुआ है तो ये केंद्रीय गृह मंत्री की असफलता है और उनको इस्तीफा देना चाहिए।"
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मनोज कुमार झा ने बीजेपी के आरोपों पर भी पलटवार किया। उन्होंने कहा, "क्या उन्हें सब कुछ मिल गया? मतदाता सूची भी मिल गई? क्या चुनाव आयोग अब गठबंधन सहयोगी बन गया है? निगरानीकर्ता को निगरानीकर्ता ही रहने दें। चुनाव आयोग निगरानीकर्ता है, उसे ‘लैप डॉग’ में तबदील करने की कोशिश न करें। बीजेपी को ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए, अभी बिहार में मतदाता सत्यापन को लेकर ड्राफ्ट भी नहीं आया है। अगर कोई बाहरी बिहार में आकर बैठा है तो बीजेपी को गृह मंत्री और प्रधानमंत्री का इस्तीफा कराना चाहिए।"
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जेडीयू सांसद संजय कुमार झा के कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लेकर दिए बयान पर भी मनोज झा ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, "क्या गोपाल खेमका के घर में बैठकर संजय झा कानून-व्यवस्था पर बयान देंगे? क्या वे मुजफ्फरपुर की बच्ची के घर में जाकर यही बात कहेंगे कि 20 साल पहले भी ऐसा होता था? उनके जीवन में सहानुभूति होनी चाहिए। हम आंकड़ों पर बात करेंगे, उन्हें सार्वजनिक मंच पर बुलाएंगे। राज्य में पूरी तरह अराजकता है और सरकार किसी के नियंत्रण में नहीं है। छोटा हो या बड़ा व्यापारी, वे अपने घर से निकलने से पहले भगवान को याद करते हैं कि वे शाम को सुरक्षित अपने घर वापस लौट सकें।"
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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