मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया विभाग के पूर्व अध्यक्ष केके. मिश्रा ने बीजेपी की प्रदेश सरकार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी का बचाव करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता ने इंदौर में शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सीहोर जिले के आष्टा में आत्महत्या करने वाले मनोज परमार और उनकी पत्नी नेहा के मामले में बीजेपी के नेताओं और राज्य सरकार के रवैए की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि बीजेपी के नेता पति-पत्नी की आत्महत्या के मामले में ईडी के अधिकारी पर कार्रवाई की बात करते। मगर, दुर्भाग्य है कि प्रदेश सरकार ईडी अधिकारी का बचाव कर रही है।
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उन्होंने बताया कि मनोज परमार के चार बच्चे लगभग डेढ़ साल पहले प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में उनके पास एक गुल्लक लेकर आए थे, जिसमें 714 रुपए थे। यह राशि वह कांग्रेस को चंदा के रूप में देने आए थे। उस समय कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ हुआ करते थे। इन बच्चों ने कमलनाथ को गुल्लक सौंपी थी। उसके बाद राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' हुई, उस दौरान भी इन बच्चों ने एक अन्य गुल्लक को राहुल गांधी को सौंपा था। मनोज परमार कांग्रेस नेता नहीं थे। वह कांग्रेस की विचारधारा को मानने वाले थे।
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उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी को इन बच्चों ने जो गुल्लक भेंट की थी, उसमें कितनी राशि थी, यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि इन बच्चों की गांधी-नेहरू परिवार के प्रति श्रद्धा कितनी थी। दुर्भाग्य है कि दूषित राजनीति के इस दौर में ईडी बीजेपी का अनुषांगिक संगठन बन गया है और उसके दबाव में मासूम बच्चों के माता-पिता ने आत्महत्या कर ली। यह मध्य प्रदेश की अराजक सरकार के दौर का नमूना है। बीजेपी भी इस मामले में बचाव कर रही है। बेहतर होता कि बीजेपी के सभी नेता एक स्वर में उन बच्चों के हित में ईडी के अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने की बात करते।
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बता दें कि शुक्रवार को आष्टा निवासी मनोज परमार ने अपनी पत्नी नेहा के साथ फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। पिछले दिनों मृतक के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने दबिश दी थी। मृतक दंपति के बच्चे भी ईडी के दबाव की बात कह रहे हैं। वहीं, एक सुसाइड नोट भी सामने आया है, जिसमें भी ईडी के दबाव की बात कही जा रही है।
आईएएनएस
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