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एमटीएनएल के कर्मचारियों को अभी तक नहीं मिला अगस्त-सितंबर का वेतन, बीएसएनल की तनख्वाह में भी देरी

सरकारी दूरसंचार कंपनी एमटीएनल और बीएसएनल के कर्मचारियों को अभी तक वेतन नहीं मिला है। एमटीएनएल के कर्मचारियों का तो अगस्त माह का वेतन भी अभी तक बकाया है, जबकि बीएसएनल को कर्मचारी सितंबर माह के वेतन की राह देख रहे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

एमटीएनल के कर्मचारियों को जुलाई माह का वेतन पिछले सप्ताह ही मिला है, जबकि अगस्त और सितंबर माह के वेतन को लेकर कोई भी अफसर या उच्चाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। टेलीकॉम एक्जीक्यूटिव एसोसिएशन ऑफ एमटीएनएल (दिल्ली-मुबंई) के महासचिव ए के कौशिक का कहना है कि, “काफी जद्दोजहद के बाद ही उन्हें जुलाई का वेतन कुछ दिन पहले मिला है। बाकी वेतन के लिए हम विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।”

Published: 01 Oct 2019, 5:24 PM IST

दूसरी तरफ बीएसएनल में यह लगातार तीसरा महीना है जब कर्मचारियों को वेतन समय से नहीं मिल पा रहा है। बीएसएनल के कर्मचारियों को अगस्त माह का वेतन भी 20 दिन देरी से मिला था। इस बार भी कम से कम बीस दिनों की देरी होने की आशंका है। इसी साल कर्मचारियों को फरवरी माह का वेतन मार्च के आखिर में मिला था।

बीएसएनल ट्रेड यूनियन ने मंगलवार से दोपहर में नियमित विरोध प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। यूनियन की मांग है कि कर्मचारियों के वेतन के अलावा ठेकेदारों के भुगतान में भी देरी हो रही है, साथ ही सभी तरह के खर्च रोक दिए गए हैं। बीएसएनल ने मांग की है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी ले, क्योंकि वही बीएसएनल की असली मालिक है।

Published: 01 Oct 2019, 5:24 PM IST

इसके अलावा यूनियन ने बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम देने की भी मांग उठाई है। कर्मचारियों का कहना है कि बीएसएनएल में अभी तक तीसरे वेतन संशोधन को लागू नहीं किया गया है। यूनियन की मांग में कर्मचारियों के पेंशन में अंशदान का मुद्दा भी शामिल है।

नियमानुसार बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों ही कंपनियों के कर्मचारियों को महीने की आखिरी को वेतन मिल जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। बीएसएनल के कर्मचारियों के वेतन पर हर महीने करीब 800 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, क्योंकि कंपनी में कुल 1,63,902 कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से 46,5797 एक्जीक्यूटिव और बाकी नॉन-एक्जीक्यूटिव हैं। एमटीएनएल में करीब 22,000 कर्मचारी हैं और उनके वेतन पर हर माह करीब 160 करोड़ रूपए खर्च होते हैं।

गौरतलब है कि एमटीएनएल और बीएसएनल को उबारने की योजना बनाने के लिए सचिवों के एक समूह को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन उस पर अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।

Published: 01 Oct 2019, 5:24 PM IST

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Published: 01 Oct 2019, 5:24 PM IST