देश

मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में फैसला: एनआईए की अयोग्यता या एक सोची-समझी रणनीति?

हिंदुत्व संगठनों से जुड़े ज्यादातर मामलों में एनआईए न सिर्फ अपनी पुरानी बात से पलट गई, बल्कि अपना रवैया भी बदल लिया। इन बम धमाकों में ज्यादातर आरोपी या तो छूट चुके हैं या फिर जमानत पर रिहा हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में सारे आरोपी बरी

मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में एनआईए की जांच और कल आए विशेष कोर्ट के फैसले पर कई सवाल उठ रहे हैं। 18 मई 2007 को हैदराबाद के मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट मामले की सुनवाई कर रही एनआईए कोर्ट ने पांचों आरोपियों को सोमवार 16 अप्रैल 2018 को बरी कर दिया था। इस ब्लास्ट में 9 मारे गए थे और तकरीबन 60 लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। इसके कुछ देर बाद ही खबर आई कि फैसला सुनाने वाले एनआईए जज ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जज ने कहा कि उन्होंने ‘निजी वजहों’ से इस्तीफा दिया है। लेकिन इस्तीफे को मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में उनके फैसले से जोड़ कर देखा जा रहा है। हालांकि, वेबसाइट ‘द प्रिंट’ के मुताबिक, जज रविंदर रेड्डी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और संभव है कि इस्तीफा इस वजह से दिया गया हो।

सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि इस मामले की जांच कर रही अधिकारी प्रतिभा अंबेडकर को दो सप्ताह पहले अचानक हटा दिया गया था।

इससे पहले भी मालेगांव, अजमेर और समझौता एक्सप्रेस बम धमाकों में हिंदुत्व संगठनों और उनसे जुड़े लोगों की भूमिका पर एनआईए के नरम पड़ने को लेकर सवाल उठ चुके हैं। मालेगांव बम धमाकों में एनआईए की वकील रहीं रोहिणी सैलियन ने तो यहां तक कह दिया था कि एनआईए अधिकारी ने उनसे नरम रूख रखने को कहा है। बाद में सालियान ने कोर्ट में भी हलफनामा दायर कर यह बात कही थी और उन्होंने एनआईए अधिकारी सुहास वर्के का नाम भी लिया था।

2014 में समझौता एक्सप्रेस मामले में एनआईए ने असीमानंद की जमानत का विरोध नहीं किया। उसके अलावा अजमेर ब्लास्ट में भी एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और इंद्रेश कुमार पर से आरोप हटा दिए। हिंदुत्व संगठनों से जुड़े ज्यादातर मामलों में एनआईए न सिर्फ अपनी पुरानी बात से पलट गई, बल्कि अपना रवैया भी बदल लिया। इन बम धमाकों में ज्यादातर आरोपी या तो छूट चुके हैं या फिर जमानत पर रिहा हैं।

Published: 17 Apr 2018, 4:13 PM IST

2014 में ‘द कैरावन’ पत्रिका को दिए साक्षात्कार में असीमानंद ने बम धमाकों में अपनी भूमिका को स्वीकार किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने इस स्वीकारोक्ति से इंकार कर दिया। पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद जोस ने ट्वीट कर बताया कि उनके पास असीमानंद की स्वीकारोक्ति की 9 घंटे लंबी टेप रिकार्डिंग थी, जिसे अंबाला जेल में रिकार्ड किया गया था। एनआईए ने कहा था कि वह यह टेप ले जाएगी, लेकिन वह कभी आई ही नहीं।

Published: 17 Apr 2018, 4:13 PM IST

वेबसाइट ‘द वायर’ के मुताबिक, गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या हत्या मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने एनआईए के वर्तमान प्रमुख वाईसी मोदी को फटकार लगाते हुए कहा था कि एनआईए की ‘अयोग्यता के परिणामस्वरूप अन्याय’ हो रहा है। हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि एक-एक कर ज्यादातर मामलों में आरोपियों का छूटना एनआईए की अयोग्यता है या एक सोची-समझी रणनीति?

Published: 17 Apr 2018, 4:13 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 17 Apr 2018, 4:13 PM IST