देश

ऐसा दलित रामभक्त जिससे भक्ति संदेश सुनना ऊंची जाति को नहीं था मंजूर, विरोध के चलते छोड़ना पड़ा था गांव  

रामनाथ जाटव रामचरितमानस का पाठ बहुत तन्मयता से करते थे जो सुनने वालों को बहुत अच्छा लगता था। लेकिन ऊंची जाति के कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगता था कि एक दलित के माध्यम से भक्ति संदेश सुना जाए। वे कहते थे कि चाहे रामनाथ कितना भी अच्छा पाठ करे पर उसकी वाणी से वे भक्ति कथा नहीं सुनेंगे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

भारत में भक्ति आंदोलन की परंपरा ईश्वर से नजदीकी और प्रत्यक्ष संबंध से जुड़ी है। सभी के परस्पर प्रेम और भलाई से जुड़ी है। राम के सर्वकल्याणकारी रूप को ही परंपरा ने महत्त्व दिया है। इस परंपरा पर चल रहे दो ऐसे रामभक्तों से हाल में मिलना हुआ। इनमें से एक दलित हैं और एक पंडित हैं, दोनों अपने-अपने स्तर पर रामभक्ति में डूबे हुए समाज में एकता, न्याय और बिना किसी भेदभाव के सब की भलाई और प्रेम का संदेश फैला रहे हैं।

Published: undefined

फोटो: भारत डोगरा

रामनाथ जाटव मुरैना जिले (मध्य प्रदेश) के एक ऐसे दलित रामभक्त है जिनमें बहुत कम आयु से राम की भक्ति के प्रति गहरा झुकाव रहा। वे रामचरितमानस का पाठ बहुत तन्मयता से करते थे जो सुनने वालों को बहुत अच्छा लगता था। लेकिन ऊंची जाति के कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगता था कि एक दलित के माध्यम से भक्ति संदेश सुना जाए। वे कहते थे कि चाहे रामनाथ कितना भी अच्छा पाठ करे पर उसकी वाणी से वे भक्ति कथा नहीं सुनेंगे। ज्यादा विरोध होने पर रामनाथ टुंडला गांव छोड़ कर गुरजा गांव में बस गए। इसके बाद उनके कुछ दलित साथियों ने भी उन्हें रामभक्ति कथा कहने से मना किया। इसकी वजह उन्होंने यह बताई कि इसमें किसी स्थान पर दलित विरोधी संदेश है। लेकिन रामनाथ ने कहा कि उनकी गहरी भक्ति तो राम के प्रति है और राम तो सभी के प्रति दयालु हैं, उनमें कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने रामकथा सुनाना जारी रखा।

Published: undefined

इस तरह कई स्तरों पर रामनाथ को विरोध सहना पड़ा। वह एक भूमिहीन परिवार से हैं। उन्होंने पट्टा प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने से इंकार किया। उन्हें कोई पट्टा मिला ही नहीं। जिसके बाद उनका 6 सदस्यों का परिवार भूमिहीन ही रह गया। इस बीच रामनाथ एकता परिषद सामाजिक संस्था और इसके संस्थापक पीवी राजगोपाल के संपर्क में आए। यहां उन्हें बहुत सम्मान मिला। वे यहां बार-बार आने लगे। एकता परिषद ने सामाजिक-आर्थिक न्याय और भूमि-सुधार के लिए अनेक जन आंदोलन किए। विभिन्न आंदोलनों में रामनाथ बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करते रहे हैं।

Published: undefined

फोटो: भारत डोगरा

देवेन्द्र बना श्योपुर जिले (मध्य प्रदेश) के गसवानी ब्लाक के ऐसे रामभक्त हैं जो इस गांव में 27 वर्षों से हो रहे रामयण पाठ से जुड़े हैं। वे स्वयं एक अच्छे कवि हैं और बहुत भाव प्रवाह ढंग से अन्याय की व्यवस्था के विरुद्ध अपनी कविताएं सुनाते हैं। श्योपुर से रायगढ़ तक एकता परिषद द्वारा अन्याय और विषमता के विरुद्ध एक पदयात्रा निकाली जा रही थी। विजयपुर में देवेन्द्र इस यात्रा से जुड़े। उन्हें इस पदयात्रा ने उत्साहित किया तो वे आगे एकता परिषद के सभी कार्यक्रमों में बहुत उत्साह से भाग लेने लगे।

Published: undefined

रामनाथ दलित हैं और देवेन्द्र पंडित है। वे दोनों प्रगाढ़ रामभक्त है। राम भक्ति उन्हें सबसे प्रेम और सबकी भलाई से जोड़ती है, न्याय की शक्तियों से मिलकर अन्याय की ताकतों का विरोध करने से जोड़ती है। यह दोनों हिंदू-मुस्लिम एकता और सभी धर्मों को एकता के प्रबल समर्थक हैं। यह दोनों रामभक्त एक आवाज में सांप्रदायिकता का विरोध करते हैं। जहां रामनाथ के भक्ति रस से डूबे भजन सांस्कृतिक मंचों पर बहुत श्रद्धा से सुने जाते हैं, वहां देवेन्द्र बना की कविताएं अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलन्द करती है। दोनों मित्र बहुत अलग पृष्ठभूमि से आए राम भक्त है, और अपनी भक्ति मार्ग से वे समाज की एकता और भलाई के तरह-तरह के कार्यों से जुड़ते रहते हैं।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined