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'17986 हलफनामों का हिसाब अब भी बाकी है', अखिलेश ने ‘BJP-चुनाव आयोग-जिलाधिकारी की तिकड़ी’ को फिर घेरा

अखिलेश ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों दोहराते हुए बीजेपी सरकार, निर्वाचन आयोग और स्थानीय प्रशासन के बीच ‘साठगांठ’ की जांच की मांग दोहराई।

अखिलेश ने ‘BJP-चुनाव आयोग-जिलाधिकारी की तिकड़ी’ को फिर घेरा
अखिलेश ने ‘BJP-चुनाव आयोग-जिलाधिकारी की तिकड़ी’ को फिर घेरा फोटोः सोशल मीडिया

समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख अखिलेश यादव गुरुवार को एक बार फिर से बीजेपी, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन पर निशाना साधा है। अखिलेश ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों दोहराते हुए बीजेपी सरकार, निर्वाचन आयोग और स्थानीय प्रशासन के बीच ‘साठगांठ’ की जांच की मांग दोहराई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि तीनों की तिकड़ी ने लाख कोशिशों के बाद भी हमारे आरोपों पर ‘आधी-अधूरी-निराधार’ सफाई दे पाई है।

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“न चलेगी हक़मारी, न मतमारी,  इस बार PDA सरकार हमारी”

अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “चुनाव आयोग से लेकर ज़िलाधिकारी तक और सीओ से लेकर लेखपाल तक सब जुगाड़ करने के बाद भी ‘बीजेपी-चुनाव आयोग-ज़िलाधिकारी की तिकड़ी’ अभी तक, हमारे द्वारा दिए गए 18000 एफ़िडेविट में से सिर्फ़ 14 शपथपत्रों के बारे में ही, वो भी ‘आधी-अधूरी-निराधार’ सफ़ाई दे पाई है।“

उन्होंने कहा, “18000 हलफ़नामों में से 14 को कम भी कर दें तो भी 17986 का हिसाब बाक़ी है। यही है हक़ का गणित।“

अखिलेश ने आगे लिखा, “न चलेगी हक़मारी, न मतमारी,  इस बार PDA सरकार हमारी”

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निर्वाचन आयोग का झूठ हुआ बेनकाब 

इससे पहले बुधवार को भी अखिलेश ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों पर उत्तर प्रदेश के तीन जिलाधिकारियों की ओर से ‘अचानक सक्रियता’ दिखाए जाने को लेकर सवाल उठाते हुए बीजेपी सरकार, निर्वाचन आयोग और स्थानीय प्रशासन के बीच ‘साठगांठ’ की जांच की मांग दोहराई थी।

यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सवाल किया, “जनता का जिलाधिकारियों से एक मासूम सवाल है, क्यों इतने साल बाद आया जवाब है?”

उन्होंने कहा, “… जिस तरह कासगंज, बाराबंकी, जौनपुर के जिलाधिकारी हमारे 18000 शपथपत्रों के बारे में अचानक अति सक्रिय हो गये हैं, उसने एक बात तो साबित कर दी है कि निर्वाचन आयोग की यह बात झूठ है कि ‘एफिडेविट’ नहीं दिया गया।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर कोई ‘एफिडेविट’ मिला ही नहीं, तो ये जिलाधिकारी जवाब किस बात का दे रहे हैं। अब सतही जवाब देकर खानापूर्ति करेन वाले इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए। अदालत को संज्ञान लेना चाहिए, निर्वाचन आयोग या जिलाधिकारी में से कोई एक तो गलत है ही ना?”

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बीजेपी, निर्वाचन आयोग और स्थानीय अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ ने  ‘लोकतंत्र का अपहरण’ किया

वहीं, सपा अध्यक्ष ने फिरोजाबाद के टूंडला में संवाददाताओं से बातचीत में कहा था,“निर्वाचन आयोग अब तक कह रहा था कि उसे हटाए गए मतदाताओं के नाम के बारे में कोई हलफनामा नहीं मिला जबकि जिलाधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें मिला है। हमने 18 हजार मतदाताओं के हलफनामे जमा किए थे। अब जिलाधिकारी रिपोर्ट दाखिल करेंगे और आयोग को फैसला लेना होगा।”

उन्होंने कहा कि अधिकारियों के ‘सतही जवाब’ उनकी संलिप्तता स्वीकार करने के समान हैं।

अखिलेश ने कहा, “या तो चुनाव आयोग या जिलाधिकारी झूठ बोल रहे हैं। अदालत को इसका संज्ञान लेना चाहिए।”

सपा नेता ने आरोप लगाया कि बीजेपी, निर्वाचन आयोग और स्थानीय अधिकारियों ने मिलकर एक ‘तिकड़ी’ बनाई है, जिसने ‘लोकतंत्र का अपहरण’ किया है।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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