कांग्रेस के सैयद नसीर हुसैन ने मंगलवार को कहा कि भारत एक बहुधर्मी समाज है, लेकिन हिंदुस्तान का धर्म लोकतंत्र और पवित्र ग्रंथ संविधान होना चाहिए।
हुसैन ने कहा कि अल्पसंख्यक अधिकारों का विषय हर उस देश के लिए प्रासंगिक है जो खुद को सभ्य राष्ट्र कहता है, लेकिन देश में मौजूदा माहौल को देखते हुए भारत जल्द ही ‘अल्पसंख्यक से नफरत करने वाला राष्ट्र’ बनने जा रहा है।
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वह राज्यसभा में ‘भारत के संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर चर्चा में भाग ले रहे थे।
कांग्रेस सदस्य ने कहा, ‘‘यह सरकार सांप्रदायिक विभाजन को राज्य की नीति बनाने की हद तक चली गई है। इससे संविधान निर्माताओं और समावेशी राष्ट्र के उस दृष्टिकोण के साथ धोखा हुआ है, जिसका वे निर्माण करना चाहते थे।’’
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देश में खतरनाक ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि डर और नफरत का माहौल तैयार किया जा रहा है और अल्पसंख्यकों को आज लगता है कि उनका राज्य वैसा ही है जैसा जर्मनी में नाजी शासन के दौरान यहूदियों का था।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान करता है और अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हर हिंदुस्तानी का कोई न कोई धर्म होता है। हम सभी किसी न किसी धर्म में पैदा हुए हैं।’’
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उन्होंने कहा कि हर धर्म में एक पवित्र पुस्तक भी होती है। हुसैन ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हिंदुस्तान का धर्म लोकतंत्र होना चाहिए और पवित्र पुस्तक संविधान होना चाहिए।’’
हुसैन ने बांग्लादेश में हिंदुओं और पाकिस्तान में हिंदुओं एवं सिखों तथा श्रीलंका में तमिलों की भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी का जिक्र करते हुए, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर अपनी राजनीति के लिए संविधान का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था, हुसैन ने कहा, ‘‘कांग्रेस के लिए संविधान देश के विशाल जनसाधारण के लिए सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव का जरिया है।’’
हुसैन ने आश्चर्य जताया कि सत्तारूढ़ पार्टी को समाजवाद से समस्या क्यों है।
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उन्होंने कहा, ‘‘क्या आपको सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों में आरक्षण पर आपत्ति है? क्या आपको गरीबों को जमीन देने पर आपत्ति है?... क्या आप नहीं चाहते कि गरीब मजदूरों को मनरेगा के तहत काम मिले।’’
भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ के बारे में प्रधानमंत्री के बयान का जिक्र करते हुए कांग्रेस सदस्य ने पूछा कि सरकार अडानी के मुद्दे पर जेपीसी का गठन क्यों नहीं कर रही है या चुनावी बॉण्ड मुद्दे की जांच क्यों नहीं करा रही है।
उन्होंने सरकार से भ्रष्टाचार के सभी आरोपों की जांच कराने को कहा।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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