आज देश ही नहीं दुनिया भर में चैत्र नवरात्र का अंतिम दिन यानी दुर्गा नवमीं मनाई जा रही है। महानवमी (Maha Navami) के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) स्वरूप की पूजा की जाती है। आज देवी दुर्गा की विशेष पूजा करने की परंपरा है, नवमी पर शहर में जगह-जगह हवन-यज्ञ का आयोजन कर श्रीराम का पूजन किया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी (Maha Navami) कहा जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की महानवमी 14 अक्टूबर को यानी आज है।
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आज श्रद्धालुओं ने मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri)की पूजा की। इसी का साथ घर-घर कन्याओं का पूजन हुआ, नवरात्र के नौ व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने कन्या पूजन कर उपवास खोला। माना जाता है कि, महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक समाप्त हो जाते हैं। महानवमी (Maha Navami) के दिन कन्या पूजन और नवरात्रि (Navaratri) हवन का भी विधान है। तो चलिए आज हम आपको मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग और महत्व के बारे में बताते हैं।
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जानकारी के मुताबिक, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बुधवार, 13 अक्टूबर को सायं 08:07 से प्रारंभ हो चुकी है। गुरुवार 14 अक्टूबर को सायं 06:52 बजे समाप्त होगी। महानवमी के दिन रवि योग रवि 15 अक्टूबर को सुबह 9:36 से शुरू होकर 06:22 बजे तक है। ऐसे में महानवमी रवि योग में है। महानवमी पर राहु काल दोपहर 01:33 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक है।
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बता दे, पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर महानवमी (Maha Navami) का व्रत करने का संकल्प लें और मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। फिर मां को अक्षत, फूल, धूप, सिंदूर, सुगंध, फल आदि का भोग लगाएं। उन्हें विशेष रूप से तिल अर्पित करें। नीचे दिए गए मंत्रों से उनकी पूजा करें। अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। माँ दुर्गा को खीर, मालपुआ, मीठा हलवा, पूरनपोथी, केला, नारियल और मिठाई पसंद है।
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यदि आपके घर महानवमी के दिन कन्या पूजन और हवन की परंपरा है, तो मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद हवन विधि विधान से करें। इसके बाद 2 से 10 साल की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें। विधि पूर्वक कन्या पूजन करें और उनको उपहार एवं दक्षिणा देकर आशीष लें।
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