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दक्षिण अफ्रीका की सोने की खदान से कई जीवित लोगों, शवों को निकाला गया, सैकड़ों लोग अब भी फंसे

सैकड़ों लोग अब भी फंसे हैं जिनमें से कई की मौत हो चुकी है और अन्य इतने कमजोर हैं कि वे खुद बाहर आने में सक्षम नहीं हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दक्षिण अफ्रीका में सोने की खदान में अवैध रूप से काम कर रहे खनिकों के महीनों तक फंसे रहने के बाद बचाव दल ने मंगलवार को कई खनिकों को जीवित बाहर निकाला लेकिन भूख-प्यास के कारण वे काफी कमजोर हालत में थे। इसके अलावा कई शव भी निकाले गए हैं।

माना जा रहा है सैकड़ों लोग अब भी फंसे हैं जिनमें से कई की मौत हो चुकी है और अन्य इतने कमजोर हैं कि वे खुद बाहर आने में सक्षम नहीं हैं।

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पुलिस ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका की सबसे गहरी खदानों में से एक बफेल्सफोन्टेन सोने की खदान में सोमवार से पिंजरे जैसी संरचना भेजकर खनिकों को बाहर निकालने की कवायद की जा रही है जिसके तहत कम से कम 60 शव और 92 जीवित लोगों को निकाला जा चुका है।

पुलिस के पास इसकी सटीक जानकारी नहीं है कि कितने खनिक और फंसे हैं, लेकिन उसने कहा कि इनका आंकड़ा सैकड़ों में हो सकता है। खनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह के अनुसार समुदाय द्वारा संचालित बचाव अभियान में शुक्रवार को नौ और शव निकाले गए।

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जोहानिसबर्ग के दक्षिण-पश्चिम में स्टिलफोन्टेन शहर के पास स्थित खदान, नवंबर से ही पुलिस, खनिकों और स्थानीय समुदाय के सदस्यों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध का स्थल रही है, जब प्राधिकारियों ने खनिकों को खाना-पानी भिजवाना रुकवा दिया था। उस समय एक कैबिनेट मंत्री ने कहा था कि सरकार मदद नहीं भेजेगी क्योंकि वे ‘‘अपराधी’’ हैं।

खनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह के अनुसार नागरिक समूहों और समुदाय द्वारा इसकी कड़ी आलोचना की गई और खनिकों के फंसे होने के मुद्दे से निपटने के तरीके को लेकर दक्षिण अफ्रीका सरकार सवालों के घेरे में है।

माना जा रहा है कि भूख और शरीर में पानी की कमी के कारण 100 से अधिक खनिकों की मौत हो चुकी है।

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प्राधिकारियों का कहना है कि जीवित लोग बाहर आने में सक्षम हैं, लेकिन गिरफ्तारी के डर से बाहर नहीं आ रहे हैं। अधिकारियों ने रस्सियों और पुली सिस्टम को हटा दिया, जिसका उपयोग खनिकों द्वारा खदान में प्रवेश करने के लिए किया जाता था।

इस पर नागरिक समूहों ने आपत्ति जताई है। खनिकों तक भोजन, पानी और दवाइयां पहुंचाने के वास्ते अधिकारियों को निर्देश देने के लिए नागरिक समूहों ने अदालत का भी रुख किया था और अदालत ने उनके पक्ष में ही फैसला सुनाया था। हालांकि, समूहों का कहना है कि आपूर्ति पर्याप्त नहीं है और कई खनिक भूख से मर रहे हैं।

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