पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने इस साल बजट के बाद चुनाव कराने के प्रस्ताव के पीछे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के नेतृत्व वाली सरकार की बुरी मंशा का आरोप लगाया है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। जियो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पारंपरिक रूप से बजट जून के पहले दो सप्ताह में पेश किया जाता है और संघीय सरकार ने कहा है कि अगले महीने आम चुनाव कराना जल्दबाजी होगी। वह इस साल के अंत में चुनाव कराने पर जोर दे रही है।
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संघीय सरकार और विपक्षी पीटीआई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर देश भर में चुनाव कराने की तारीख को लेकर वार्ता कर रहे हैं। अगले सप्ताह इस सिलसिले में अंतिम बैठक होने की उम्मीद है। जिओ न्यूज के अनुसार, पिछले साल अप्रैल में प्रधानमंत्री पद से हटाए गए खान ने लाहौर में पीटीआई कार्यकर्ताओं के साथ एक सत्र के दौरान कहा, (सरकार) कह रही है कि पहले वह बजट पारित करेगी और फिर चुनाव करायेगी। यह उसके 'दुर्भावना' को दशार्ता है।
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अपदस्थ प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि सरकार 14 मई से पहले राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं को भंग कर देती है तो उनकी पार्टी आगे वार्ता जारी रखने के लिए तैयार होगी। सिंध और बलूचिस्तान विधानसभा और नेशनल असेंबली को अभी तक भंग नहीं किया गया है, जबकि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं को खान के निर्देश पर जनवरी में भंग कर दिया गया था।
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सामाजिक संस्थाओं ने राजनीतिक ताकतों से चुनाव पर सहमति बनाने और गतिरोध समाप्त करने का आग्रह किया है, जिसने पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। जियो न्यूज के अनुसार, इमरान खान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनकी पार्टी चुनावों में देरी नहीं करना चाहती और हम बजट के बाद चुनाव को स्वीकार नहीं करेंगे।
पीटीआई प्रमुख ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा, अगर चुनाव की उम्मीद खत्म हो जाती है, तो पाकिस्तान की स्थिति श्रीलंका से भी बदतर हो जाएगी। मैं आपको डरा नहीं रहा हूं, मैं सिर्फ अपना मशविरा दे रहा हूं।
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