
पाकिस्तान में आम चुनाव की घोषणा के साथ ही राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है। यहां अगले साल 8 फरवरी को चुनाव कराए जाने की घोषणा हुई है। इसी बीच बताया जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान आम चुनावों की दौड़ से बाहर हो सकते हैं। वह वर्तमान में भ्रष्टाचार से लेकर देशद्रोह तक के गंभीर आरोपों के साथ बड़ी कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
10 अप्रैल 2022 को विपक्षी गठबंधन द्वारा अविश्वास मत के माध्यम से सत्ता से बेदखल किए गए इमरान खान ने देश के सैन्य प्रतिष्ठान और अपने राजनीतिक विरोध के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और देश के सबसे लोकप्रिय नेता बन गए।
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वह वर्तमान में जेल में हैं और प्रमुख कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं। साथ ही 9 मई को देशभर में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर किए गए दंगों के कारण उनकी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पूरी तरह से खत्म हो गई।
इमरान खान को अभी भी उनके समर्थक बहुत पसंद करते हैं, जो उनके खिलाफ सभी आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताते हैं। अब पाकिस्तान में जैसे-जैसे आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसा लगता है कि इस चुनाव में इमरान खान भी दावेदारी में नहीं दिखेंगे, जिससे कमजोर मतदान भी हो सकता है।
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वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक जावेद सिद्दीकी ने कहा, "यदि इमरान खान अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे और लोगों के बीच उन्हें अभी भी बहुमत का समर्थन प्राप्त है, तो पूरी चुनाव प्रक्रिया, इसकी विश्वसनीयता पर चिंताओं और सवालों से घिरी रहेगी।"
दरअसल, इमरान खान अभी भी सबसे लोकप्रिय नेता हैं। उनके निष्कासन का असर चुनावों में बहुत कम मतदान के माध्यम से पड़ेगा, जिसका मतलब यह भी होगा कि अगली निर्वाचित सरकार लोगों की पसंद की प्रतिनिधि नहीं होगी।
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इमरान खान के बिना चुनाव में कमजोर मतदान होने का कारण गैलप (जीएएलएलयूपी) के हालिया सर्वे से भी स्थापित किया जा सकता है, जिसमें पता चला है कि अगर इमरान खान पीटीआई के अध्यक्ष नहीं होते तो पीटीआई के कम से कम 63 प्रतिशत मतदाता अपना वोट नहीं डालते।
गैलप ने अपने सर्वे में पूछा, "यदि इमरान खान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष नहीं होंगे, लेकिन, पार्टी अभी भी चुनाव में खड़ी है, तो क्या आप ऐसी पार्टी को वोट देंगे?" इस सवाल का जवाब कम से कम 63 प्रतिशत ने स्पष्ट रूप से "नहीं" में दिया, जबकि 37 प्रतिशत ने फिर भी कहा कि वे पार्टी को वोट देंगे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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