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ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद गंभीर हुए हालात, बगदाद में अमेरिकी दूतावास और एयरबेस पर हमला

इराक के सबसे सुरक्षित ग्रीन ज़ोन स्थित अमेरिकी दूतावास और अमेरिकी एयरबेस पर रॉकेट से हमला हुआ है। इस हमले में कम से कम 5 लोगों के जख्मी होने की खबर है। ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद इन हमलों से हालात गंभीर नजर आने लगे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी के अमेरिकी हमले में हत्या किए जाने के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच तनाव काफी बढ़ता जा रहा है जिससे मध्य पूर्व में हालात बेहद गंभीर नजर आ रहे हैं।

ताजा खबर के मुताबिक बगदाद में अमेरिका सेना अड्डे पर रॉकेट से हमला हुआ है। एएफपी और अल जज़ीरा की खबर के मुताबिक बगदाद में धमाके की आवाज आई है। ताजा जानकारी के मुताबिक इस हमले में कम से कम पांच लोगों के जख्मी होने की खबर है।

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गौरतलब है कि ईरानी जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद मध्यपूर्व में तनाव बना हुआ है और ईरान ने उनकी हत्या का बदला लेने का एलान किया है। शनिवार को जनरल सुलेमानी का जनाजा निकला जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।

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इस बीच ईरान ने एक लंबे अर्से बाद मस्जिद पर लाल झंडा लहरा दिया है। इस लाल झंडे का ईरान में अर्थ है कि युद्ध अब अपिरहार्य है और जंग शुरु हो सकती है।

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आखिर ट्रंप ने कैसे किया सुलेमानी की हत्या का फैसला?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब रविवार को छुट्टियां मनाने के लिए फ्लोरिडा के मार-अ-लागो रेजॉर्ट में पहुंचे थे, तभी वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार उनके पास पहुंचे और ईरान के मिलिशिया ग्रुप पर अमेरिकी एफ-15 स्ट्राइक इगल्स के इराक और सीरिया ठिकानों पर हमले की जानकारी दी। यह उस हमले का जवाबी कार्रवाई था, जिसमें दो दिन पहले एक अमेरिकी कांट्रेक्टर की मौत हो गई थी।

इसी दौरान यह बात उभर कर आई कि क्या सुलेमानी को खत्म कर देना चाहिए, जो कि इन हमलों का तानाबाना बुन रहा है और जिसकी वजह से अमेरिकी कांट्रेक्टर की मौत हुई थी। अमेरिकी सैन्य लीडरों ने अमेरिकी कांट्रेक्टर की मौत के पीछे सुलेमानी का होना बताया था और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सुलेमानी जीवित रहा तो और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बना सकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि फारस की खाड़ी में बहुत सारे हमलों को बर्दाश्त करने वाले ट्रंप ने आखिरकार यह फैसला अचानक कैसे ले लिया कि सुलेमानी को खत्म कर दो? इस फैसले को सुनकर कुछ ने कहा कि यह फैसला सुनकर वह आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि इससे अमेरिका के पुराने दुश्मन माने जाने वाले ईरान के साथ युद्ध की शुरुआत हो सकती है।

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अमेरिका के अग्रणी समाचार पत्र-वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, ट्रंप के साथ उच्चस्तरीय वार्ता में शामिल अमेरिकी प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, "यह काफी बोल्ड निर्णय था और हम सभी आश्चर्यचकित रह गए।"

आखिर ट्रंप ने सुलेमानी के खात्मे के लिए इस समय का चुनाव क्यों किया? शुक्रवार को जब अमेरिकी विदेश विभाग ने संवाददाताओं से कहा कि ईरान इस तरह साजिश कर रहा था कि जिससे सैकड़ों अमेरिकियों को मौत के घाट उतारा जा सके। हालांकि उन्होंने इसका विवरण देने से इनकार कर दिया। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मीडिया से कहा कि सुलेमानी इस क्षेत्र में अमेरिका के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमले की साजिश रच रहा था और अगर यह सैकड़ों अमेरिकियों नहीं तो दर्जनों अमेरिकियों की हत्या से जुड़ा था। उन्होंने कहा, "हमें पता था कि यह अश्वयंभावी है।"

ट्रंप के साथ मीटिंग में मौजूद लोगों ने हालांकि स्पेसिफिक टारगेट बता नहीं पाए लेकिन उन्होंने कहा कि यह होना ही है। कुछ विशेषज्ञ हालांकि सुलेमानी की हत्या पर संदेह जता रहे हैं लेकिन ईरान मामले के एक सीनियर इंटेलीजेंस विश्लेषक जॉन बैटमैन ने कहा, "सुलेमानी की मौत जरूरी नहीं थी। हमें करना यह था कि सुलेमान की साजिशों को कैसे विफल करना है।"

अमेरिका के सुरक्षा सलाहकार राबर्ट सी. ओब्रायन ने कहा कि सुलेमानी पर हमला इस वजह से किया गया कि क्योंकि उसने हाल ही में सीरिया की राजधानी दमिश्क का दौरा किया और अमेरिकी सैन्य और राजनयिक के खिलाफ हमले की साजिश रची। उन्होंने कहा कि यह हमला इसलिए किया गया कि सुलेमानी की योजना को ध्वस्त किया जा सके, जिसमें उसने अमेरिका के खिलाफ हमलों की साजिश रची थी।

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