संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने यूक्रेन में जारी युद्ध पर कहा कि हर गुजरते दिन के साथ यह महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी, उम्मीदों और भविष्य को बर्बाद कर रहा है। उन्होंने कहा तथ्य ये है कि यह युद्ध गेहूं और तेल उत्पादक दो देशों के बीच होने की वजह से दुनिया भर में जरूरी चीजों तक पहुंच को खतरा पैदा कर रहा है और यह ''महिलाओं और लड़कियों को सबसे कठिन तरीके से प्रभावित करेगा।''
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बहाउस ने उन पुरुषों का जिक्र नहीं किया जो यूक्रेन युद्ध में मारे जा रहे हैं और घायल हुए हैं. हालांकि उन्होंने कहा, ''मैं प्रार्थना करती हूं कि महिलाएं और वे सभी जो संघर्ष का सामना कर रहे हैं, उन्हें जल्द ही शांति मिले।''
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इस साल यूएन महिला एजेंसी के दो सप्ताह की बैठक का प्राथमिक विषय जलवायु परिवर्तन से निपटने में महिलाओं को सशक्त बनाना है। यह कोविड-19 महामारी के बाद तीन वर्षों में महिलाओं की स्थिति पर आयोग का पहला ऑफलाइन सत्र है।
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बहाउस ने कहा सभी संघर्षों के साथ साथ जलवायु परिवर्तन भी महिलाओं और लड़कियों से भारी कीमत वसूलता है।
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दूसरी ओर बैठक को संबोधित करते हुए यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा कि समाज आज भी पुरुष प्रधान है। उन्होंने कहा जलवायु संकट, प्रदूषण, मरुस्थलीकरण और जैव विविधता के नुकसान के साथ-साथ कोरोना महामारी और अब यूक्रेन युद्ध का असर सभी को प्रभावित करता है लेकिन महिलाओं और लड़कियों को ''सबसे बड़े खतरों और सबसे गहरे नुकसान का सामना करना पड़ता है।''
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यूक्रेन युद्ध की वजह से लाखों की संख्या में महिलाएं और बच्चे देश छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. यूक्रेन से अब तक 32 लाख लोग भाग चुके हैं। यूएन की मानवीय राहत एजेंसी का कहना है कि यूक्रेन में मौजूदा हालात की वजह से लगभग हर एक सेकंड में एक बच्चा शरणार्थी बनने के लिए मजबूर है।
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