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नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बाद सुधरे हालात, सुशीला कार्की के अंतरिम PM बनते ही काठमांडू की सड़कों पर लौटी रौनक

भारत ने नेपाल में सुशीला कार्की के नेतृत्व में नए अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह कदम नेपाल में शांति और स्थिरता लाने में सहायक होगा।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर कई दिनों तक चले हिंसक प्रदर्शनों के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं। आज काठमांडू से सुबह की तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें हालात सामान्य दिख रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर दिखे, जो अपने काम-काज के लिए घरों से निकले थे।

इसी बीच नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। उनके कार्यभार संभालने के साथ ही नेपाल की संसद भंग कर दी गई है और अब मार्च 2026 में आम चुनाव कराने का ऐलान किया गया है।

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जनता की उम्मीदें- भ्रष्टाचार मुक्त शासन और संवैधानिक सुधार

काठमांडू में स्थानीय लोगों ने सुशीला कार्की से बड़ी उम्मीदें जताई हैं। लोगों ने इस पर प्रतिक्रियाएं दी हैं। स्थानीय नागरिक लिला लुइटेल ने कहा कि जनता चाहती है कि संविधान में संशोधन कर राष्ट्र प्रमुख को कार्यकारी अधिकार दिए जाएं और भ्रष्टाचार करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो, चाहे वे नेता हों या कार्यकर्ता।

स्थानीय नागरिक राम कुमार सिम्खाड़ा ने मांग की कि नई सरकार में विशेषज्ञों, वकीलों, शिक्षकों, डॉक्टरों और न्यायविदों को शामिल कर सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए।

एक अन्य नागिरक सुमन सिवाकोटी ने आशा जताई कि कार्की का कार्यकाल नेपाल में नए युग की शुरुआत करेगा और विकास की नई दिशा मिलेगी।

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भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने नेपाल में सुशीला कार्की के नेतृत्व में नए अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह कदम नेपाल में शांति और स्थिरता लाने में सहायक होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मैं माननीय श्रीमती सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने पर अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। भारत, नेपाल के लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।"

भारत के पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद ने कहा कि सुशीला कार्की स्वतंत्र और निष्पक्ष छवि के लिए जानी जाती हैं। उनका मानना है कि वह आने वाले चुनावों को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराएंगी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि साल 2013 में भी नेपाल के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने सर्वदलीय सहमति से सरकार संभाली थी और सफलतापूर्वक चुनाव कराए थे।

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राजनीतिक संकट के बीच उम्मीद की किरण

हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान हुआ था। संसद भवन, सरकारी दफ्तरों और निजी संपत्तियों पर हमले हुए थे। इन घटनाओं के बाद नेपाल गंभीर राजनीतिक संकट में फंस गया था। ऐसे में सुशीला कार्की का नेतृत्व देश को स्थिरता और लोकतांत्रिक रास्ते पर लौटाने की उम्मीद जगाता है।

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