रूस के कामचटका इलाके के पूर्वी तट के पास भूकंप के भयानक झटके महसूस किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई है। इसका केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था। GFZ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस जोरदार भूकंप की वजह से 300 किलोमीटर के दायरे में आने वाले समुद्र तटों पर सुनामी की भी चेतावनी जारी कर दी गई है।
आपको बता दें, ये झटके कामचटका प्रायद्वीप में आए 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूंकप के एक महीने बाद आया है। फिलहाल इस भूकंप में किसी भी जानमल के नुकसान की खबर नहीं है।
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इसी साल जुलाई में कामचटका में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे प्रशांत महासागर में 4 मीटर ऊंची सुनामी लहरे उठीं थी। यह भूकंप अब तक के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक था। जिसकी वजह से हवाई, जापान और अन्य तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया। जापान में करीब 20 लाख लोगों को ऊंचे इलाकों में जाने का आदेश दिया गया, हालांकि बाद में चेतावनी वापस ले ली गई।
आपको बता दें, कामचटका प्रायद्वीप एक ऐसा इलाका है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। जुलाई में आए भूकंप की वजह से रूस, अमेरिका, जापान, हवाई, चिली, कोस्टा रिका और अन्य देशों में भी सुनामी की चेतावनी जारी हुई थी। जानकारी के मुताबिक कामचटका में 1952 में 9.0 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था, जो अब तक के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक माना जाता है।
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The Washington Post की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के कामचटका में इसी साल 3 अगस्त क्राशेनीनिकोव ज्वालामुखी ने लगभग 600 वर्षों बाद विस्फोट किया। माना जाता है कि इस विस्फोट का कारण 30 जुलाई को 8.8 तीव्रता के भूकंप भी है। वैज्ञानिकों ने भी संभावित रूप से ज्वालामुखी गतिविधि के लिए इसे प्रेरक माना है। विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप ने मैग्मा के प्रवाह और दबाव को प्रभावित किया, जिससे ज्वालामुखी सक्रिय हुआ। यह ज्वालामुखी करीब 1550 के बाद पहली बार फटा।
इस ज्वालामुखी विस्फोट के बाद, राख के बादल लगभग 6 किलोमीटर ऊंचाई तक उठे, लेकिन यह विस्फोट जनसंख्या-घनत्व वाले क्षेत्रों से दूर स्थित क्रोनोट्स्की नेचर रिजर्व में हुआ, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई।
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भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण आते हैं। पृथ्वी की बाहरी परत कई बड़ी प्लेटों में बंटी होती है, जो लगातार आपस में टकराती, खिसकती या अटकती हैं। जब ये प्लेटें अचानक मुक्त होती हैं या आपस में टकराती हैं, तो बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जो भूकंपीय तरंगों के रूप में फैलती है और हमें धरती हिलती हुई महसूस होती है। इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट, भूमिगत खदानों में धमाके या जमीन के अंदर दरारें भी भूकंप का कारण बन सकती हैं।
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