डॉनल्ड ट्रंप सिर्फ अनोखे आइडिया देते ही नहीं है, उन पर फौरन अमल करने के लिए भी जाने जाते हैं. मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन के मामले में भी ऐसा ही देखा गया. ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि इससे कोरोना वायरस के खिलाफ फायदा मिल सकता है. दो दिन बाद उन्होंने भारत से भारी मात्रा में यह दवा मंगा ली. ऐसा तब जब इस दवा पर कोविड-19 को लेकर कोई रिसर्च नहीं हुई है और खुद अमेरिका में डॉक्टर इसके नुकसान गिनवा रहे हैं. ट्रंप से सीख कर कुछ और देशों ने भी इसका इस्तेमाल शुरू किया लेकिन नतीजा उल्टा ही दिखा. ब्राजील ने तो अब यह कह कर इस्तेमाल रोक दिया है कि इस दवा के कारण ज्यादा मौतें हो रही हैं.
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बहरहाल, ट्रंप के आइडिया जारी हैं. हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सैनिटाइजर के इंजेक्शन और अल्ट्रा वायलट रोशनी को किसी तरह शरीर के अंदर पहुंचाने की बात की है. ट्रंप का तर्क यह है कि डॉक्टर बार बार वायरस से बचने के लिए धूप में बैठने की हिदायत दे रहे हैं, तो क्यों ना एक साथ बहुत सारी रोशनी अल्ट्रा वायलट किरणों के जरिए शरीर के अंदर पहुंचा दी जाए. उन्होंने कहा, "मान लीजिए हम शरीर को खूब सारी रोशनी दें फिर चाहे वो अल्ट्रा वायलेट हो या कोई बहुत शक्तिशाली रोशनी."
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व्हाइट हाउस की कोरोना वायरस टास्क फोर्स कोऑर्डिनेटर डॉक्टर डेबोराह बिर्क्स की ओर देखते हुए ट्रंप ने कहा, "मेरे ख्याल से आप लोगों ने अभी तक इसे टेस्ट नहीं किया है लेकिन आप ऐसा कर सकते हैं." ट्रंप के सुझावों के दौरान डॉक्टर बिर्क्स काफी हैरान दिखीं और उनके हावभाव तुरंत सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगे हैं. ट्रंप ने पत्रकारों के सामने ही उनसे पूछा कि क्या वे इस बारे में जानती हैं. डॉक्टर बिर्क्स का जवाब था, "इलाज के रूप में तो नहीं."
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ट्रंप यहां रुके नहीं. उन्होंने आगे कहा, "मैं डिसइंफेक्टेंट को देखता हूं जो एक मिनट में उसे (वायरस को) मार देता है - एक मिनट में. तो क्या कोई तरीका नहीं है कि उसे किसी तरह शरीर के अंदर इंजेक्ट कर दिया जाए जहां वो सफाई कर दे..इसका पता लगाना दिलचस्प होगा." आम लोगों में इस तरह की बातें कोरोना संकट की शुरुआत से ही चल रही हैं. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी देश के राष्ट्रपति ने व्हाट्सऐप फॉरवर्ड जैसे किसी आइडिया को देश के सामने रखा हो. ट्रंप बार बार कहते रहे हैं कि वे डॉक्टर नहीं है लेकिन सामान्य बुद्धि का इस्तेमाल करना जानते हैं. इस बार भी उन्होंने इसी बात को दोहराया.
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ईरान तो कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही इसका सामना कर चुका है जब देश में ऐसी अफवाह फैली कि अल्कोहल पीने से कोरोना वायरस मर जाता है. ट्रंप के तर्क की ही तरह वहां भी वजह सैनिटाइजर ही था. वायरस को 99 फीसदी तक मारने वाले सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है. ईरान में कुछ लोगों ने यह तर्क लगाया कि अगर अल्कोहल लगाने से वायरस मर सकता है, तो पी लेने से भी शरीर के अंदर सफाई हो जाएगी. इस्लामी देश ईरान में शराब की बिक्री पर पाबंदी है. ऐसे में कुछ लोगों ने इंडस्ट्रियल अल्कोहल का बंदोबस्त किया और अपने जानने वालों में भी उसे बांटा. इसे पीने के कारण वहां सैकड़ों लोगों की जान गई. पिछले लगभग चार महीनों से वैज्ञानिक लगातार अपील करते आए हैं कि कोरोना वायरस से जुड़ी अफवाहों पर यकीन ना किया जाए.
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इसके अलावा ट्रंप इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि कोरोना का टीका बहुत जल्द बाजार में होगा. यूरोप में जर्मनी और ब्रिटेन ने इस हफ्ते इंसानों पर टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल लगातार कह रही हैं कि आम लोगों तक टीका पहुंचने में अभी बहुत वक्त लगेगा. उन्होंने इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत की समय सीमा दी है. इसके विपरीत ट्रंप कुछ दिनों या हफ्तों की बात पर अटके हुए हैं.
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