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दुनिया की खबरें: सेना प्रमुख मुनीर ने पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें कमजोर कीं और बांग्लादेश में चुनाव से पहले...

इमरान खान ने बुधवार को सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर बल प्रयोग के जरिए पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करने का आरोप लगाया।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर बल प्रयोग के जरिए पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करने का आरोप लगाया। खान (73) कई मामलों में दो साल से ज्यादा समय से जेल में हैं।

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “सही मायनों में लोकतांत्रिक देश का मतलब एक ऐसा देश, जहां संविधान, कानून का शासन, न्याय व लोकतांत्रिक स्वतंत्रताएं सर्वोच्च हों, हालांकि आसिम मुनीर के लोकतांत्रिक देश का मतलब एक ऐसी व्यवस्था है, जहां सभी लोकतांत्रिक स्तंभों को कुचल दिया जाता है और उनकी जगह ‘आसिम कानून’ स्थापित कर दिया जाता है।”

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “स्पष्ट कर दूं, कोई भी देश अपने लोगों के समर्थन और सहमति के बिना कभी भी मजबूत नहीं बन सकता। तथाकथित आसिम कानून के तहत किए जा रहे अत्याचार देश को मजबूत नहीं बल्कि उसकी नींव को कमजोर कर रहे हैं।”

खान ने यह भी दावा किया कि उन्हें जेल में पूरी तरह से अलग-थलग रखा गया है।

उन्होंने कहा, “मुझे पूरी तरह से अलग-थलग रखा जा रहा है। पाकिस्तान के इतिहास में राजनीतिक उत्पीड़न का इससे बड़ा उदाहरण कभी नहीं रहा। मुझे जेल नियमावली के तहत बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।”

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 महीनों में उन्हें अपने बेटों से सिर्फ एक बार बात करने की इजाजत मिली है और वह भी तीन-तीन मिनट के दो छोटे अंतराल के लिए।

उन्होंने कहा, “मुझे न केवल मौलिक मानवाधिकारों से वंचित किया जा रहा है बल्कि पार्टी नेता होने के नाते अपने राजनीतिक सहयोगियों से मिलने के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। मेरे वकीलों, पार्टी सदस्यों और परिवार से मिलने में लगातार बाधाएं डाली जा रही हैं। यह मेरे बुनियादी और कानूनी अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।”

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बांग्लादेश में चुनाव से पहले...

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बुधवार को 15 सैन्य अधिकारियों को जेल भेजने का आदेश दिया है। हालांकि, आईसीटी का कहना है कि ये एक्शन अवामी लीग सरकार के दौरान कथित तौर पर जबरन गायब किए जाने, हत्याओं और मानवता के खिलाफ अन्य अपराधों के तीन अलग-अलग मामलों में लिया गया है।

बता दें, जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वे शेख हसीन के करीबी माने जाते थे। जस्टिस गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली आईसीटी-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार सुबह एक याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया।

रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी अधिकारियों ने जमानत की मांग की थी, लेकिन न्यायाधिकरण ने याचिकाएं खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

मामले को लेकर मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा, "न्यायाधिकरण ने जबरन गुमशुदगी और हत्या के मामलों में आज पेश किए गए 15 सैन्य अधिकारियों को जेल भेजने का आदेश दिया है।"

बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट यूएनबी ने अभियोजन पक्ष के हवाले से बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित कुल 34 लोगों को इन तीन मामलों में नामजद किया गया है, जबकि आरोपित 25 सैन्य अधिकारियों में से 15 वर्तमान में हिरासत में हैं।

इससे पहले, 11 अक्टूबर को, बांग्लादेशी सेना मुख्यालय ने घोषणा की थी कि आईसीटी में तीन मामलों में औपचारिक रूप से आरोपित किए जाने के बाद 15 अधिकारियों को सैन्य हिरासत में ले लिया गया है। बता दें, जिन 25 सैन्य अधिकारियों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें से नौ लोग सेवानिवृत्त या निलंबित हैं।

बांग्लादेश के प्रमुख न्यूजपेपर द बिजनेस स्टैंडर्ड ने बांग्लादेशी सेना के एडजुटेंट जनरल मेजर जनरल मोहम्मद हकीमुज्जमां के हवाले से कहा, "कुल 15 आरोपी अधिकारी अब सेना की हिरासत में हैं, जबकि एक अधिकारी का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। वह एक सुबह अपने घर से निकला था और तब से वापस नहीं लौटा है। उसके ठिकाने का पता लगाने के प्रयास जारी हैं।"

सैन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी पर बांग्लादेश की पूर्व पीएम हसीना ने कड़ी आपत्ति जताई थी। देश की अंतरिम सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में कानून का कोई राज नहीं है।

उन्होंने नौगांव में पार्टी नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए सवाल किया, "मैं इस बात से स्तब्ध हूं कि सेना से इन अधिकारियों को कानून के हवाले करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। कानून कहां है? इस देश में कानून का कोई राज नहीं है। यह सरकार नाजायज है, और इसके सभी कार्य गैरकानूनी हैं। इन अधिकारियों को ऐसी सरकार के हवाले क्यों किया जाना चाहिए?"

आईसीटी के बारे में बोलते हुए, हसीना ने आगे कहा, "हमने बांग्लादेश की आजादी का विरोध करने वालों पर मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण की स्थापना की थी। हालांकि, उन्होंने न्यायाधिकरण के कानूनों में इतने बड़े पैमाने पर संशोधन कर दिए हैं कि यह 'यूनुस कोर्ट' या 'जमात कोर्ट' बन गया है—एक ऐसी अदालत जो युद्ध अपराधियों द्वारा नियंत्रित है।"

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अगले हफ्ते तीन दिवसीय दौरे पर जापान पहुंचेंगे राष्ट्रपति ट्रंप, पीएम ताकाइची से करेंगे मुलाकात

साने ताकाइची जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साने ताकाइची के कार्यकाल की शुरुआत में जापान पहुंचेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति तीन दिवसीय यात्रा पर 27 से लेकर 29 अक्टूबर तक जापान की यात्रा करेंगे। ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची जापान-अमेरिका शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

पदभार ग्रहण करने के बाद ताकाइची की ट्रंप के साथ पहली मुलाकात होगी। अपनी यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति ट्रंप जापान के सम्राट से भी मिलेंगे।

इस संबंध में जापान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप की जापान यात्रा जापान-अमेरिका गठबंधन को मजबूत करने का एक अत्यंत सार्थक अवसर है, और जापान सरकार राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा का तहे दिल से स्वागत करती है।"

राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप की यह चौथी जापान यात्रा है। इससे पहले उन्होंने 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान जापान का दौरा किया था।

इससे पहले सितंबर में, जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में भाग लिया था।

जापान के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, शिगेरु इशिबा ने ट्रंप की मित्रता और विश्वास के लिए उनका आभार व्यक्त किया और वैश्विक शांति एवं समृद्धि को साकार करने में जापान-अमेरिका गठबंधन के महत्व पर जोर दिया। इशिबा और ट्रंप ने स्थिर और सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया, जो दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को पूरा करती है।

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