
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की उम्रकैद की सजा फांसी तक बढ़ाने की मांग की गई है। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) के अभियोजक ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय अदालत में याचिका दायर की है। इसमें शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को दी गई सजा बढ़ाने की मांग की गई।
बांग्लादेशी मीडिया बीएसएस न्यूज के अनुसार, अपील में जुलाई में हुए सामूहिक विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए कुछ अपराधों के लिए उनकी सजा को मौत तक बदलने की मांग की गई।
आईसीटी अभियोजक गाजी एमएच तममी ने कहा कि जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा काफी नहीं है और इसकी जगह मौत की सजा दी जानी चाहिए।
हसीना और कमाल के लिए मौत की सजा की अपील के बाद ट्रिब्यूनल परिसर में एक प्रेस ब्रीफिंग में तममी ने कहा, "पहला फैसला फिर से बने आईसीटी में सुनाया गया था। जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में, हसीना और कमाल को सजा सुनाई गई थी। उन्हें एक आरोप में उम्रकैद और दूसरे में मौत की सजा मिली थी।"
उन्होंने कहा, "हमने आज सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय अदालत में अपील की है कि उम्रकैद की जगह मौत की सजा दी जाए। इसके लिए आठ वजहें बताई गई हैं। फैसला आने के तीस दिनों के अंदर अपील फाइल करनी होती है। हमने यह पहले ही कर दिया था। अपील के साठ दिनों के अंदर सेटलमेंट का नियम है। मुझे उम्मीद है कि इस अपील का निपटारा उस समय के अंदर हो जाएगा।"
यह कदम 17 नवंबर को दिए गए इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-1 के फैसले के एक हिस्से को चुनौती देता है, जिसमें ट्रिब्यूनल ने दोनों नेताओं को एक बड़े आरोप में मौत की सजा और एक अलग आरोप में प्राकृतिक तरीके से मौत तक जेल की सजा सुनाई थी।
मीडिया से बातचीत के दौरान सोमवार को तमीम ने कहा, “हमने आज आठ वजहों से अपील फाइल की है ताकि उन आरोपों में सजा बढ़ाई जा सके, जिनमें उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई थी।”
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ढाका, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, देश में हिंसा और तनाव का माहौल बढ़ रहा है। आए दिन हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि पत्रकार भी वहां सुरक्षित नहीं हैं।
पत्रकारों के अधिकार का भी हनन हो रहा है। बांग्लादेश के स्थानीय मीडिया ने सोमवार को बताया कि वरिष्ठ पत्रकार अनीस आलमगीर को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने खास मुद्दों से जुड़ी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। इसके बाद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई।
हाल के कुछ दिनों में बांग्लादेश में पत्रकारों पर हमले की घटना में बढ़ोतरी ने देश में प्रेस की आजादी को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। हफ्ते भर में ऑन-ड्यूटी पत्रकार रिसान पर हमले का मामला सामने आया। ढाका-8 से निर्दलीय उम्मीदवार और इकबाल मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान बिन हादी को दो बदमाशों ने दिन दहाड़े सिर पर गोली मार दी।
इसके बाद 12 दिसंबर की दोपहर को रिसान ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (डीएमसीएच) में हादी पर हुई गोलीबारी के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे थे, तभी छात्र से नेता बने हादी के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया।
जुलाई की शुरुआत में, बाहर से आए 88 पत्रकारों, लेखकों, शोधकर्ताओं, कल्चरल और राइट्स एक्टिविस्ट्स के एक समूह ने यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में "पत्रकारों पर लगातार टॉर्चर और बोलने की आजादी को दबाने" पर गंभीर चिंता जताई थी।
इस महीने की शुरुआत में, कई जाने-माने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने बांग्लादेश में मानवाधिकार की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। विशेषज्ञों ने दावा किया कि मानवाधिकारों के उल्लंघन बढ़ रहे हैं और राजनीतिक बदला लेने के लिए झूठे और मनगढ़ंत शिकायतों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
कनाडा के थिंक टैंक संगठन 'ग्लोबल सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक गवर्नेंस (जीसीडीजी)' ने 'बांग्लादेश इन क्राइसिस: ह्यूमन राइट्स, जस्टिस, एंड द फ्यूचर ऑफ डेमोक्रेसी' नाम से एक वर्चुअल इंटरनेशनल सेमिनार आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। स्विट्जरलैंड के पब्लिक रेडियो की एडिटर, शार्लेट जैक्वेमर्ट ने बताया कि यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत अगस्त 2024 और जुलाई 2025 के बीच पत्रकारों के खिलाफ 195 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल की तुलना में 550 फीसदी ज्यादा है।
सेमिनार के बाद जीसीडीजी की ओर से जारी एक प्रेस स्टेटमेंट में कहा गया, "उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि इसी दौरान (अगस्त 2024 और जुलाई 2025 के बीच) 878 पत्रकारों को अलग-अलग तरह से परेशान किया गया। जैक्वेमर्ट ने पत्रकारों के खिलाफ दर्ज सभी मनगढ़ंत केस वापस लेने और गिरफ्तार किए गए लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग की।"
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मोरक्को के तटीय शहर साफी में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि रात भर हुई भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ से लगभग 70 घर और व्यवसाय जलमग्न हो गए और 10 वाहन बह गए।
स्थानीय समाचार एजेंसियों ने बताया कि स्कूलों ने तीन दिनों के लिए बंद रहने की घोषणा की है। बारिश के कारण मोरक्को के अन्य हिस्सों में भी बाढ़ आयी है और नुकसान हुआ है, जिनमें उत्तरी शहर टेटुआन व पहाड़ी शहर टिंगहिर शामिल हैं।
मोरक्को की राजधानी रबात से 320 किलोमीटर से अधिक दूर अटलांटिक तट पर स्थित साफी शहर देश के महत्वपूर्ण मत्स्य पालन और खनन उद्योगों का एक प्रमुख केंद्र है।
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