
पाकिस्तानी शख्स से निकाह करने वाली सरबजीत उर्फ नूर हुसैन को लाहौर पुलिस तंग कर रही है। परेशान इतना किया है कि अब उसे लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) की शरण लेनी पड़ी है। पति-पत्नी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि पुलिस उन पर शादी तोड़ने का दबाव बना रही है।
सरबजीत पहले सिख थी और 4 नवंबर को 1,922 तीर्थयात्रियों संग वाया अटारी बॉर्डर पाकिस्तान पहुंची थी। पाकिस्तान के अलग-अलग गुरुद्वारों में 10 दिन बिताने के बाद 1,922 तीर्थयात्रियों का यह समूह 13 नवंबर की शाम भारत लौट आया था, लेकिन वह लापता थी। बाद में उसके निकाहनामे और पासपोर्ट की प्रति सामने आई। इससे पता चला कि उसने इस्लाम कबूल कर नई आबादी शेखूपुरा निवासी नासिर हुसैन से निकाह कर लिया है।
अब पति नासिर का आरोप है कि लाहौर पुलिस उस पर शादी तोड़ने का दबाव डाल रही है। दोनों ने इसे लेकर एक याचिका दायर की, जिसमें शिकायत की गई कि पुलिस ने "शेखपुरा जिले के फारूकाबाद स्थित उनके घर पर अवैध रूप से छापा मारा और शादी तोड़ने का दबाव डाला।"
स्थानीय मीडिया आउटलेट 'डॉन', 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' और 'समा टीवी' के अनुसार, न्यायमूर्ति फारूक हैदर ने याचिका पर सुनवाई की और पुलिस को याचिकाकर्ताओं को परेशान करना बंद करने का आदेश दिया।
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 12 नवंबर को संविधान के अनुच्छेद 199 (उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र) के तहत दायर की गई थी। इसमें महिला और उसके पति को याचिकाकर्ता बनाया गया और पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), शेखपुरा के क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी, शेखपुरा और ननकाना साहिब के जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ), वहां के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), और फारूकाबाद के एक अन्य निवासी को प्रतिवादी बनाया गया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि महिला के पूर्व धर्म के आधार पर किसी ने एसएचओ से याचिकाकर्ताओं के घर पर 8 और 11 नवंबर को दो बार अवैध छापेमारी करने का अनुरोध किया था। इसमें कहा गया है कि एसएचओ का बर्ताव बहुत अनुचित था और उसने शादी तोड़ने का दबाव बनाया।
इसमें यह भी कहा गया कि पति पाकिस्तान का नागरिक है, जबकि उसकी पत्नी ने भी अपने वीजा की अवधि बढ़ाने और पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त करने के लिए दूतावास से संपर्क किया था।
याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादियों की कार्रवाई "कानून और मौलिक अधिकारों के विरुद्ध" है और याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करती है। यदि अदालत प्रतिवादियों को अनुचित उत्पीड़न करने से रोकने के लिए उचित निर्देश जारी नहीं करती है, तो याचिकाकर्ताओं को "अपूरणीय क्षति" पहुंचेगी।
लाहौर हाईकोर्ट ने इस याचिका का संज्ञान लेते हुए पुलिस को हुसैन दंपति को परेशान न करने की ताकीद की है।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर एच-वन-बी वीजा का समर्थन किया है। उनका कहना है कि विदेशों से आने वाले कामगार जरूरी हैं, क्योंकि वे अमेरिकी कामगारों को प्रशिक्षित करते हैं।
व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि अब अमेरिका में बहुत कम चिप्स बनती हैं, लेकिन आने वाले एक वर्ष में अमेरिका फिर से बड़े स्तर पर चिप निर्माण करेगा। इसके लिए अमेरिकी लोगों को फिर से चिप बनाना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि पहले अमेरिका यह काम करता था, परन्तु गलती से यह उद्योग ताइवान के हाथों गंवा दिया।
पिछले हफ़्ते, ट्रंप ने फ़ॉक्स न्यूज़ की लॉरा इंग्राहम के साथ एक साक्षात्कार में एच-1बी वीजा कार्यक्रम का समर्थन किया था। जब पूछा गया कि क्या उनकी सरकार इस वीज़ा को कम महत्त्व देगी, तो ट्रंप ने कहा, हमें बाहर से प्रतिभाशाली लोग लाने ही पड़ेंगे। आपके पास कुछ ख़ास तरह की प्रतिभा नहीं है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी पंक्ति में खड़े लोगों को अचानक मिसाइल बनाने वाले कारखाने में नहीं लगाया जा सकता, इसके लिए विशेष कौशल चाहिए।
ट्रंप के इस बयान के बाद कई रिपब्लिकन नेताओं ने एच-वन-बी कार्यक्रम बंद करने की मांग शुरू कर दी। इसके बाद व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि वीज़ा आवेदन पर एक लाख डॉलर की नई फीस व्यवस्था की गड़बड़ियों को रोकने के लिए पहला बड़ा कदम है।
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने "आधुनिक इतिहास में किसी भी राष्ट्रपति से ज़्यादा हमारे आव्रजन कानूनों को कड़ा करने और अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने के लिए काम किया है।"
प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने एच-1बी वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की जांच के लिए हाल ही में शुरू किए गए "प्रोजेक्ट फ़ायरवॉल" पर भी प्रकाश डाला, जिसके तहत उन कंपनियों की जांच की जा रही है जो एच-वन-बी नियमों का उल्लंघन करती हैं।
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चीन ने मंगलवार को कहा कि बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सुनायी गई मौत की सजा ढाका का ‘‘आंतरिक मामला’’ है। चीन ने इस घटनाक्रम पर आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
बांग्लोदश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी) ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को पिछले वर्ष के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए सोमवार को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनायी थी।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने यहां एक प्रेस वार्ता में फैसले के बारे में पूछे जाने पर कहा, "यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है।"
माओ ने कहा कि चीन बांग्लादेश के सभी लोगों के प्रति अच्छे पड़ोसी और मैत्रीपूर्ण नीति के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरी उम्मीद है कि बांग्लादेश एकजुटता, स्थिरता और विकास हासिल करेगा।’’
हसीना पिछले साल 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत में रह रही हैं।
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बांग्लादेश के सियासी ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहाल हैं। डेंगू से मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा। सोमवार से मंगलवार सुबह के बीच मात्र 24 घंटे में 4 और लोगों ने दम तोड़ दिया। इस तरह 2025 में मच्छर जनित बीमारी से मरने वालों की तादाद अब 343 हो गई है।
यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश (यूएनबी) ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के हवाले से बताया कि इसी दौर में 920 से ज्यादा मरीजों को वायरल फीवर की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके साथ ही डेंगू मरीजों की कुल संख्या 86,924 हो गई है।
डीजीएचएस के अनुसार, ढाका नॉर्थ सिटी कॉर्पोरेशन (डीएनसीसी) में 211, ढाका साउथ सिटी कॉर्पोरेशन में 151, ढाका डिवीजन में 147, बारिशाल डिवीजन में 146, चटगांव डिवीजन में 116, खुलना डिवीजन में 72, मय्यमनसिंह डिवीजन में 65, सिलहट डिवीजन में 10 और रंगपुर डिवीजन में 2 नए मामले रिपोर्ट हुए।
2024 में डेंगू के कारण 575 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 2023 में 1,705 लोग इसका शिकार हुए थे।
9 अक्टूबर को, डीजीएचएस के महानिदेशक अबू जाफर ने बताया कि 2025 में डेंगू के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है; हालांकि, मृत्यु दर कम है।
यूएनबी ने बताया। स्वास्थ्य मंत्रालय में 'टाइफाइड टीकाकरण अभियान-2025' पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में अबू जाफर ने कहा था, "इस साल, डेंगू संक्रमण की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है, लेकिन संक्रमण के अनुपात में मृत्यु दर कम है।"
उन्होंने डेंगू की रोकथाम के लिए मच्छरों के प्रजनन और उनके लार्वा को नष्ट करने को महत्वपूर्ण बताया था।
डेंगू को लेकर तो नसीहतों का दौर चल ही रहा है लेकिन इसके अलावा भी देश कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को लेकर उदासीन बना बैठा है।
हाल ही में बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो (बीबीएस) और यूनिसेफ की ओर से संयुक्त रूप से जारी मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे 2025 (एमआईसीएस 2025) में इसकी छवि मिली।
सर्वे के अनुसार, बांग्लादेश बाल श्रम, विषाक्त सीसे के संपर्क (शरीर पर पड़ने वाले असर), कुपोषण और दूषित जल का दंश झेल रहा है।
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