बांग्लादेश की राजधानी ढाका के शाहबाग इलाके में शुक्रवार को भी धरना प्रदर्शन जारी रहा, जिससे यातायात बुरी तरह बाधित हुआ और आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह धरना गुरुवार सुबह से शुरू हुआ था और प्रदर्शनकारी लगातार "जुलाई लेकर टालमटोल नहीं चलेगा" और "जुलाई चार्टर देना होगा" जैसे नारे लगा रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि 'जुलाई चार्टर' को तुरंत लागू किया जाए। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हम सड़कों से नहीं हटेंगे।"
शाहबाग चौराहे पर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के जमा होने के कारण यातायात पूरी तरह ठप हो गया। एक स्थानीय यात्री ने बताया, “मैं सुबह आधिकारिक काम से जत्राबाड़ी गया था। फिर सोशल मीडिया से शाहबाग ब्लॉकेड की जानकारी मिली, तो मैं बस से बासाबो, कमलापुर और मालिबाग के रास्ते जाने लगा, लेकिन सड़कों पर हर जगह जाम था। करवान बाजार पहुंचने में ढाई घंटे लग गए, जो सामान्यत: सवा घंटे का सफर होता है।”
इस बीच, बांग्लादेश की राष्ट्रीय सहमति आयोग (एनसीसी) द्वारा गुरुवार को संवाद के दूसरे दौर का समापन किया गया। इसमें सात सुधार प्रस्तावों पर अधिकांश राजनीतिक दलों ने सहमति जताई, जिसमें कार्यवाहक सरकार प्रमुख की नियुक्ति, उच्च सदन का गठन और राष्ट्रपति के चुनाव जैसे मुद्दे शामिल हैं। हालांकि, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने इनमें से छह प्रस्तावों पर आपत्ति जताई।
एनसीसी के उपाध्यक्ष अली रियाज ने संवाद के समापन के बाद कहा, “हमारा लक्ष्य 31 जुलाई तक संवाद को पूरा करना था, जिसे हमने हासिल कर लिया है। अब हम जुलाई चार्टर का अंतिम मसौदा तैयार कर राजनीतिक दलों के साथ साझा करेंगे।”
हाल ही में, जमात-ए-इस्लामी, नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) और इस्लामी आंदोलन जैसे कई दलों ने 'जुलाई चार्टर' के मसौदे पर आपत्तियां जताई हैं। खासकर चार्टर के उस प्रावधान का विरोध किया गया है जिसमें कहा गया है कि सरकार बनने के दो साल के भीतर सुधारों को लागू किया जाएगा। इन दलों की मांग है कि चार्टर को कानूनी रूप दिया जाए ताकि इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
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संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान 2024 और 2025 में दुनिया का सबसे खाद्य असुरक्षित (फूड इनसिक्योर) देश बना हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 75 प्रतिशत आबादी आजीविका असुरक्षा का सामना कर रही है और 1.2 करोड़ से अधिक लोगों को तत्काल खाद्य सहायता की आवश्यकता है।
एफएओ की रिपोर्ट शुक्रवार को जारी हुई, जिसमें बताया गया कि दुनिया के 53 देशों में कुल 29.5 करोड़ लोग गंभीर भूख से जूझ रहे हैं, जो 2023 की तुलना में 1.3 करोड़ की वृद्धि है। अफगानिस्तान 2016 से ही एफएओ की 'क्रॉनिक हंगर लिस्ट' में शामिल है। इसमें कांगो, इथियोपिया, नाइजीरिया, सीरिया और यमन जैसे देश भी शामिल हैं, जो राजनीतिक अस्थिरता, मानवीय संकट और जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं।
अफगानिस्तान में गरीबी खाद्य संकट को गहराने वाला प्रमुख कारण है। ईरान और पाकिस्तान से 16 लाख से अधिक प्रवासियों की वापसी, अंतरराष्ट्रीय सहायता में गिरावट और आर्थिक प्रतिबंधों ने करोड़ों अफगानों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया है।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि लगातार सूखा, बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और क्षतिग्रस्त कृषि ढांचे ने देश की खाद्य उत्पादन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया है। विशेष रूप से घोर और बदख्शां प्रांतों में फसलें तबाह हो गई हैं और पशुपालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
महिलाएं और बच्चे इस संकट में सबसे अधिक प्रभावित हैं। तालिबान सरकार द्वारा महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर लगाए गए प्रतिबंधों ने कई परिवारों की आय के स्रोत खत्म कर दिए हैं।
इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि अगर मानवीय सहायता नहीं बढ़ाई गई तो भूख से होने वाली मौतों में भारी वृद्धि हो सकती है। एफएओ के अधिकारियों ने कहा कि अफगानिस्तान का खाद्य संकट संघर्ष, जलवायु आपदाओं और टूटती आजीविकाओं का खतरनाक मिश्रण दर्शाता है। राहत एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लगातार सहायता की अपील की है और चेतावनी दी है कि अगर राहत कार्यों को पर्याप्त समर्थन और पहुंच नहीं मिली, तो अफगानिस्तान दुनिया के सबसे बड़े भुखमरी संकटों में बदल सकता है।
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पाकिस्तान-अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है। तेज बारिश के कारण आई अचानक बाढ़ में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य लापता हैं। स्थानीय प्रशासन ने 37 बुरी तरह प्रभावित इलाकों में आपातकाल घोषित कर दिया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बाढ़ से पर्यटन और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। अब तक अनुमानित 20 अरब रुपए से अधिक की संपत्ति को नुकसान हुआ है।
जारी अधिसूचना के अनुसार, डायमर जिले के 12, गिलगित के 9, घिजर के 5, स्कर्दू और शिगर के 4-4, गांचै के 2 और नगर व खरमंग जिलों के 1-1 क्षेत्र को आपदा प्रभावित घोषित किया गया है।
अधिसूचना में कहा गया, "मॉनसून 2025 के दौरान हुई भारी बारिश के चलते गिलगित, घिजर, नगर, दीमर, स्कर्दू, गांचै, शिगर और खरमंग जिलों के कई मौज़ों में बाढ़ ने गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इनमें मानव जीवन, मवेशियों, घरों, बुनियादी ढांचे और खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ है।"
स्थानीय अधिकारी फैज़ुल्लाह फराज के अनुसार, "अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। चार अन्य घायल हुए हैं, जिन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी गई है।"
इस बीच, पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) ने शुक्रवार को देश के कई हिस्सों में भारी बारिश, तेज हवाओं और गरज-चमक के साथ बाढ़ की चेतावनी जारी की है।
पूर्वानुमान के अनुसार, पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा, उत्तर-पूर्वी बलूचिस्तान, पाकिस्तान-अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं, इस्लामाबाद में 40 प्रतिशत बारिश और तूफान की संभावना जताई गई है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में बारिश ने जमकर तबाई मचाई है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को मौत हुई हैं और बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचा है।
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रूस ने यूक्रेन की राजधानी पर रात में मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया जिसमें छह साल के बच्चे सहित कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 124 अन्य घायल हो गये। यूक्रेनी अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
कीव शहर के सैन्य प्रशासन के प्रमुख टी. तकाचेंको ने बताया कि इस हमले से नौ मंजिला आवासीय इमारत का एक बड़ा हिस्सा ढह गया।
उन्होंने बताया कि बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को बचाने में जुटी है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोशल मीडिया मंच 'टेलीग्राम' पर लिखा, ‘‘मिसाइल हमला। सीधे एक रिहायशी इमारत पर। लोग मलबे के नीचे हैं। सभी सेवाएं घटनास्थल पर हैं।’’
घटनास्थल की तस्वीरों में आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त इमारत से धुंए का गुबार निकलता हुआ तथा जमीन पर मलबा बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है।
तकाचेंको ने बताया कि कीव में कम से कम 27 स्थानों पर हमला हुआ, जिसमें सबसे अधिक नुकसान सोलोमिंस्क्यी और स्वियातोशिनस्क्यी जिलों में हुआ।
यूक्रेन की वायुसेना ने कहा कि रूस ने रातभर में ड्रोन और मिसाइल से हमला किया। यूक्रेनी वायु रक्षा प्रणाली ने 288 ड्रोन और तीन मिसाइल को रोककर उन्हें निष्क्रिय कर दिया।
इस बीच, रूस के रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने रात में 32 यूक्रेनी ड्रोन को मार गिराया है।
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अमेरिका के भारत के सभी सामानों पर सात अगस्त से बिना किसी छूट के 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। जीटीआरआई ने शुक्रवार को यह बात कही।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) द्वारा अमेरिका के कार्यकारी आदेश के विश्लेषण के अनुसार 25 प्रतिशत शुल्क दवा, मुख्य रसायन, ऊर्जा उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक एक आदेश में विभिन्न देशों पर लगने वाली शुल्क दरों का ब्योरा दिया है। इसके तहत भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने की पुष्टि की गई है।
‘जवाबी शुल्क दरों में अतिरिक्त संशोधन’ शीर्षक वाले सरकारी आदेश में राष्ट्रपति ट्रंप ने करीब 70 देशों पर लगाए जाने वाली शुल्क दरों का ब्योरा दिया है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अमेरिका ने भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात को बुरी तरह प्रभावित करने वाला कदम उठाते हुए भारत के अधिकतर सामानों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। यह सात अगस्त 2025 से लागू होगा। भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों का एक महत्वपूर्ण अध्याय उथल-पुथल भरे दौर में प्रवेश कर गया है। ’’
आदेश में उल्लेख किया गया है कि एक बार देश अमेरिका के साथ समझौता कर लें तो शुल्क कम हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि 25 प्रतिशत शुल्क छूट प्राप्त श्रेणियों पर लागू नहीं होगा। इनमें तैयार दवाइयां, दवा सामग्री (एपीआई) व अन्य प्रमुख दवाओं के कच्चे माल, ऊर्जा उत्पाद जैसे कच्चा तेल, परिष्कृत ईंधन, प्राकृतिक गैस, कोयला व बिजली; महत्वपूर्ण खनिज; इलेक्ट्रॉनिक एवं अर्धचालकों की एक विस्तृत श्रृंखला जिसमें कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन, सॉलिड-स्टेट ड्राइव, फ्लैट पैनल डिस्प्ले और एकीकृत सर्किट शामिल हैं।
एक अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का वस्तु निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 के 86.5 अरब अमेरिकी डॉलर से 30 प्रतिशत घटकर वित्त वर्ष 2025-26 में 60.6 अरब अमेरिकी डॉलर रह सकता है।
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