विश्व प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन को गुरुवार को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। प्रसिद्ध तालवादक ए. शिवमणि और अन्य कलाकारों ने कुछ दूरी पर खड़े होकर महान तबला वादक को संगीतमय विदाई दी। दुनिया के सबसे बेहतरीन तबला वादकों में से एक हुसैन का फेफड़ों की बीमारी ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ से उत्पन्न जटिलताओं के कारण सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया था। वह 73 वर्ष के थे।
उन्हें गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को के फर्नवुड कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जाकिर हुसैन के अंतिम संस्कार में उनके सैकड़ों प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए। शिवमणि और कई अन्य संगीतकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए थोड़ी दूरी खड़े होकर ड्रम बजाया। सैन फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्य दूत डॉ. के. श्रीकर रेड्डी ने भी हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की शुक्रवार को मिस्र की राजधानी काहिरा में आर्थिक सहयोग संगठन डी-8 के शिखर सम्मेलन से इतर अहम मुलाकात हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने व्यापार, वाणिज्य और खेल एवं सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान के जरिए संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संगठन (बीएसएस) ने कहा कि यूनुस ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए पाकिस्तान से 1971 के मुद्दों को 'हमेशा के लिए' सुलझाने को कहा है ताकि ढाका को इस्लामाबाद के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के पुनरुद्धार पर भी चर्चा की और ढाका और इस्लामाबाद के बीच रणनीतिक संबंधों का आह्वान किया। यूनुस ने शरीफ से 1971 के मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया ताकि ढाका को इस्लामाबाद के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके। यूनुस ने कहा, ‘‘ये मुद्दे बार-बार आते रहे हैं। आइए हम उन मुद्दों को सुलझा लें ताकि हम आगे बढ़ सकें।’’
शरीफ ने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत के बीच 1974 के त्रिपक्षीय समझौते से मामले सुलझ गए हैं, लेकिन अगर कोई अन्य लंबित मुद्दे हैं तो उन्हें उन पर विचार करने में खुशी होगी। यूनुस ने कहा कि यह अच्छा होगा कि “भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बार में हमेशा के लिए” इन चीजों को सुलझा लिया जाए। भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान ने 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद नौ अप्रैल 1974 को नयी दिल्ली में एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें दिसंबर 1971 से भारतीय शिविरों में बंद पाकिस्तानी युद्धबंदियों की वापसी तथा दोनों देशों में फंसे लोगों के पुनर्वास से संबंधित बातें शामिल थीं।
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यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायली शहर तेल अवीव में एक मिलिट्री टागरेट पर ड्रोन अटैक का दावा किया। ग्रुप ने कहा कि ड्रोन ने 'अपना लक्ष्य' सफलतापूर्वक हासिल कर लिया। हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सरिया ने गुरुवार को अल-मसीरा टीवी पर प्रसारित एक बयान में कहा, 'हम इजरायली दुश्मन के साथ एक लंबे युद्ध के लिए तैयार हैं।' उन्होंने कहा, "जब तक गाजा पर इजरायली हमला बंद नहीं हो जाता, तब तक हमारे ऑपरेशन बंद नहीं होंगे।" अल-मसारी टीवी का संचालन हूती ग्रुप करता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने हूती ग्रुप के दावे पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले दिन में इजरायल ने उत्तरी यमन में हूती ठिकानों के खिलाफ हवाई हमलों की एक श्रृंखला शुरू की। इसकी वजह राजधानी शहर सना में दो प्रमुख बिजली स्टेशन नष्ट हो गए। लाल सागर के बंदरगाह शहर होदेइदाह में आयातित ईंधन भंडारण पर बमबारी की गई। हूती ग्रुप ने कहा कि होदेइदाह के रास ईसा और अस-सलिफ बंदरगाहों पर तड़के हुए इजरायली हवाई हमलों में नौ लोगों की मौत गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए। ये हमले हूती ग्रुप के लिए बड़ा झटका हैं। हूती रास ईसा और अस-सलिफ बंदरगाहों का इस्तेमाल ईंधन और खाना पकाने की गैस आयात करने और उन्हें अपने नियंत्रण वाले इलाकों में लोगों को बेचने के लिए करते हैं।
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फ्रांस के मायोट में चक्रवात चिडो के कारण अब तक 31 लोगों के मरने की आधिकारिक पुष्टि हुई है। फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, चक्रवात चिडो की वजह से लगभग 1,400 लोग घायल हुए हैं। विदेश विभाग में बुधवार देर रात असाधारण प्राकृतिक आपदा की स्थिति की घोषणा की गई। इस बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मायोट भी पहुंचे। ऐसी आशंका जताई गई कि सबसे गरीब फ्रांसीसी विभाग में मरने वालों की संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है।
विदेश मामलों के कार्यवाहक मंत्री फ्रेंकोइस-नोएल बफेट ने बुधवार देर रात जारी एक बयान में मायोट में असाधारण प्राकृतिक आपदा की स्थिति लागू करने की घोषणा की, ताकि तेजी से और अधिक प्रभावी संकट प्रबंधन तथा आपातकालीन उपायों को लागू किया जा सके। उन्होंने कहा, "इस असाधारण स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण सेवाओं को जल्द से जल्द बहाल करने और मायोट के लिए एक स्थायी पुनर्निर्माण योजना को लागू करने के लिए असाधारण संसाधनों को तैनात किया जाना चाहिए।"
इससे पहले मंगलवार को इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसायटीज ने चक्रवात द्वारा द्वीपों को तबाह करने के बाद अपने 200 से अधिक स्वयंसेवकों के लापता होने की आशंका पर चिंता व्यक्त की थी। गत 13 दिसंबर की रात को मायोट में आए चक्रवात चिडो की वजह से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। यह 90 साल से भी ज्यादा समय में सबसे शक्तिशाली तूफान था। तूफान ने अब तक 31 लोगों की जान ले ली है, 1,400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और लगभग 70 प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित हुई है। तूफान की वजह से घरों, सरकारी इमारतों और एक अस्पताल को नुकसान पहुंचा है। माना जा रहा है कि व्यापक क्षति हुई है। मायोट के मुख्य एयरपोर्ट को नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया है। राहत कार्यों के लिए केवल सैन्य विमान ही उड़ान भर रहे हैं।
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राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का मानना है कि रूस को यूक्रेन पर पहले ही 'पूर्ण पैमाने पर आक्रमण' शुरू कर देना चाहिए था और युद्ध के लिए बेहतर तैयारी करनी चाहिए थी। हालांकि उन्होंने कहा कि युद्ध समाप्त करने के लिए वह बातचीत और समझौता दोनों के लिए तैयार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार को 'वर्ष के अंत' में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूसी राष्ट्रपति ने यह बात कही। पुतिन की प्रेस कॉन्फ्रेंस करीब 4 घंटे तक चली और इस दौरान रूस की परमाणु पॉलिसी से लेकर सीरिया में सत्ता परिवर्तन तक पर उन्होंने बात की। कार्यक्रम का देश के मुख्य टीवी चैनलों पर सीधा प्रसारण किया गया। रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "पीछे मुड़कर देखें तो 2022 के आक्रमण के लिए 'व्यवस्थित तैयारी' होनी चाहिए थी, जिसे वे 'विशेष सैन्य अभियान' कहते हैं।"
रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और रूस समर्थक ताकतों ने पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष शुरू कर दिया था। हालांकि करीब आठ साल बाद पुतिन ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण किया। पुतिन ने अपने सैनिकों को 'हीरो' बताया और कहा कि वे प्रतिदिन वर्ग किलोमीटर में मापे गए क्षेत्र को पुनः प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हर दिन पूरी अग्रिम पंक्ति में आंदोलन हो रहा है।' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये प्रगति केवल वृद्धिशील नहीं है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि सीरिया में असद शासन का पतन क्रेमलिन की हार नहीं है।
रूसी नेता ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए समझौता करने की इच्छा व्यक्त की, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि इन समझौतों में क्या शामिल हो सकता है। पुतिन ने उल्लेख किया कि वह 'बातचीत और समझौता दोनों के लिए तैयार हैं।' उनका यह बयान अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत के लिए संभावित खुलेपन का संकेत देता है। उन्होंने कहा, "राजनीति समझौता करने की कला है... हमने हमेशा कहा है कि हम बातचीत और समझौता दोनों के लिए तैयार हैं।
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