
पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में ‘वीबी-जी राम जी’ अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया और बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर मनरेगा को खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया।
ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने विधानसभा के एक दिवसीय सत्र के दौरान सदन में चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश किया।
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सोंद ने कहा कि विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन गारंटी (ग्रामीण), या ‘वीबी-जी आरएएम जी’ अधिनियम गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों, अनुसूचित जाति समुदायों और ग्रामीण मजदूरों को बुरी तरह प्रभावित करेगा, जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनेरगा) पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा को ‘‘खत्म’’ करना चाहती है जिसे बहाल किया जाना चाहिए। प्रस्ताव के अनुसार, राज्य विधानसभा ने ‘वीबी-जी राम जी’ अधिनियम की निंदा की, और कहा कि यह राज्य के गरीब मजदूरों, महिलाओं और कार्य संबंधी लाखों कार्ड धारक परिवारों से गारंटीकृत मजदूरी/रोजगार के अधिकार को छीनता है।
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इसमें सिफारिश की गई कि राज्य सरकार मनरेगा की मांग-आधारित, अधिकार-आधारित और पूर्णतः केंद्र प्रायोजित संरचना को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार से इस मामले पर बात करे।
प्रस्ताव में केंद्र से वीबी-जी राम जी अधिनियम के उन प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की भी मांग की गई है जो राज्यों पर ‘‘अनावश्यक वित्तीय बोझ’’ डालते हैं और ग्रामीण श्रमिकों के रोजगार के अधिकार को कमजोर करते हैं।
आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल ने प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए वीबी-जी राम जी अधिनियम को ‘‘गरीब विरोधी’’ बताया और इसे वापस लिए जाने की मांग की।
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