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जंतर-मंतर पर सन्नाटा, पहलवानों का आह्वान- रिहा होते ही शुरु होगा धरना, पुलिस का ऐलान- फिर से नहीं होने देंगे जमा

पहलवानों को हिरासत में लिए जाने के बाद से जंतर मंतर पर सन्नाटा दिख रहा है। लेकिन पहलवानों ने आह्वान किया है कि हिरासत से रिहा होते ही धरना दोबारा शुरु किया जाएगा। हालांकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि अब ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

साक्षी मलिक को तिरंगे के साथ जमीन पर गिरा दिया गया था। (फोटो सौजन्य - @Rahultahiliani9)
साक्षी मलिक को तिरंगे के साथ जमीन पर गिरा दिया गया था। (फोटो सौजन्य - @Rahultahiliani9) 

राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर रविवार को दोपहर के बाद से सन्नाटा पसरा है, जहां देश के शीर्ष पहलवान एक महीने से अधिक समय से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के यौन शोषण के खिलाफ धरना दे रहे थे। विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट और बजरंग पुनिया सैकड़ों समर्थकों के साथ जब महिलाओं की 'महापंचायत' के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ रहे थे, सुरक्षा घेरा तोड़कर कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने के आरोप में उन्हें हिरासत में ले लिया गया। उन्हें जबरन बस में डालकर अलग-अलग थानों में ले जाया गया।

इसी बीच, पुलिस ने जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरना स्थल से उनकी चटाई, टेंट और सारा सामान उठाकर फेंक दिया। विरोध प्रदर्शन को बलपूर्वक खत्म करने की पुलिस की कोशिशों के कारण विरोध स्थल सुनसान दिखाई दिया। दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के चारपाई, गद्दे, कूलर, पंखे, तिरपाल की छत और अन्य सामानों को हटाकर विरोध स्थल को खाली करना शुरू कर दिया।

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इससे पहले, इस धरना स्थल पर पहलवानों को किसानों, खाप नेताओं और विपक्षी दलों के सदस्यों का समर्थन मिला था। अब, यह लगभग खाली खड़ा है, केवल कुछ समर्थक इधर-उधर घूम रहे हैं, न्याय पाने के लिए अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। साक्षी मलिक ने ट्विटर पर लिखा, 'हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद हम जंतर-मंतर पर अपना विरोध फिर से शुरू करेंगे। इस देश में कोई तानाशाही नहीं चलेगी, बल्कि महिला पहलवानों के नेतृत्व में और जोरदार विरोध प्रदर्शन होगा।'

हालांकि, लगता है कि दिल्ली पुलिस पहलवानों को धरना स्थल पर वापस नहीं जाने देगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर पर वापस जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।" इस दौरान बार-बार फोन करने के बावजूद पुलिस ने सुबह से हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या के बारे में पूछताछ का कोई जवाब नहीं दिया है।

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नजफगढ़ से पहलवानों का समर्थन करने आए और जंतर मंतर पर सुबह 5 बजे पहुंचे अजीत (58) ने कहा, "हम अपने खिलाड़ियों के यहां लौटने का इंतजार कर रहे हैं और जब वे आएंगे, तो हम उन्हें उनके विरोध में हर तरह की सहायता और समर्थन देंगे। हरियाणा के रोहतक से जंतर-मंतर पर पहुंचे कुश्ती कोच परवेश नांदल (38) ने कहा, अगर पुलिस हमें अपना विरोध जारी रखने की अनुमति नहीं देती है, तब भी हम न्याय के लिए अपनी लड़ाई बंद नहीं करेंगे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और धरना स्थल को खाली कराने में तेजी दिखाई, मगर डब्ल्यूएफआई प्रमुख को गिरफ्तार करने की उसमें हिम्मत नहीं है। क्या कानून केवल न्याय के लिए लड़ने वालों पर लागू होता है?"

पालम खाप के अध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने कहा, "हर कोई गुस्से में है और आज पहलवानों के साथ जो हुआ, वह अस्वीकार्य है। जल्द ही एक 'महा खाप पंचायत' बुलाई जाएगी और हजारों लोग दिल्ली आएंगे, पहलवानों के लिए न्याय की मांग करते रहेंगे।" यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस प्रदर्शनकारियों को फिर से जंतर-मंतर नहीं पहुंचने देगी, सोलंकी ने कहा कि पहले भी प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं ली गई थी और अगर पुलिस ने अनुमति नहीं दी तो वे बिना अनुमति के फिर से जंतर-मंतर पर धरना देंगे।

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पुलिस का कहना है कि रविवार को तनाव तब बढ़ गया, जब विनेश फोगाट, उनकी बहन संगीता फोगाट ने अन्य पहलवानों के साथ सुरक्षा बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया और नए संसद भवन की ओर बढ़ने लगे। प्रदर्शनकारियों और पुलिस अधिकारियों में धक्का-मुक्की हुई और बाद में साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और उनके समर्थकों सहित सभी पहलवानों को हिरासत में लिया गया।

बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसे प्रमुख भारतीय पहलवान 23 अप्रैल से ही जंतर-मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। न्याय की उम्मीद लगाए पहलवानों को अब पुलिस के दमन का सामना करना पड़ रहा है।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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