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नहीं रहे ADR के संस्थापक जगदीप छोकर, दिल का दौरा पड़ने से निधन, कई बड़ी हस्तियों ने जताया शोक

ADR के माध्यम से जगदीप छोकर ने लोकतंत्र की प्रक्रियाओं में सुधार लाने की पहल की। उनके प्रयासों से उम्मीदवारों की आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी जनता के सामने आई, और मतदाता सूची में ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने के लिए SIR जैसे अभियानों पर उन्होंने आवाज उठाई।

ADR के संस्थापक जगदीप छोकर का निधन।
ADR के संस्थापक जगदीप छोकर का निधन। फोटो: सोशल मीडिया

देश में चुनाव सुधारों के क्षेत्र के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता और ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के संस्थापक जगदीप एस. छोकर का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्होंने देश में चुनावी पारदर्शिता, सामाजिक न्याय और मतदाता अधिकारों के संरक्षण के लिए दशकों तक काम किया।

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उनके निधन पर कई बड़ी हस्तियों ने दुख जताया है। मशहूर वकील संजय हेगड़ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के जगदीप छोकर, जो पहले आईआईएम-ए से जुड़े थे, का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। श्रद्धांजलि सर, आपने भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों को बचाने और उन्हें सही राह पर बनाए रखने के लिए बहुत अच्छी तरह संघर्ष किया।"

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आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने एक्स पर लिखा,  “इस खबर पर यकीन नहीं हो रहा! जगदीप छोकर का निधन केवल एक व्यक्ति की क्षति नहीं है, बल्कि उस अंतःकरण की आवाज का मौन हो जाना है, जो लगातार भारत के लोकतंत्र की पवित्रता के लिए बोलती रही। एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के संस्थापक के रूप में उन्होंने राष्ट्र को अपने चुनावी आचरण के आईने में झांकने और लोकतंत्र की इमारत के भीतर की दरारों को पहचानने पर मजबूर किया।”

मनोज कुमार झा ने आगे लिखा, “उनका मानना था कि लोकतंत्र चुनावों के शोर से नहीं, बल्कि उनकी निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही से जीवित रहता है। उन्होंने हमें बार-बार याद दिलाया कि गंदी प्रक्रियाओं से साफ-सुथरी राजनीति कभी जन्म नहीं ले सकती।”

झा ने कहा, “उनके जाने से एक खालीपन जरूर पैदा हुआ है, लेकिन साथ ही एक विरासत भी छोड़ी है। एक अधूरा कार्य, जो अब उन सबका है जो लोकतंत्र की परवाह करते हैं। हमें भी उस मकसद के प्रति अपनी प्रतिज्ञा को नया करना होगा, जिसके लिए वे जिए: कि भारत के चुनाव केवल सत्ता की होड़ न हों, बल्कि भरोसे के संस्कार हों।

श्रद्धांजलि सर।

जय हिंद।"

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वरिष्ठ पत्रकार प्रॉन्जय गुहा ठकुरता ने एक्स पर लिखा, “जगदीप छोकर, एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के संस्थापकों में से एक और इसके पीछे की प्रेरक शक्ति, अब हमारे बीच नहीं रहे। श्रद्धांजलि प्रोफेसर साहब।"

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पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी और देश के पूर्व निर्वाचन रह चुके अशोक लवासा ने एक्स पर लिखा, “प्रोफेसर जगदीप छोकर का निधन बेहद दुखद है। उन्होंने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) का नेतृत्व किया, जिसने चुनावी लोकतंत्र के उच्च मानकों को बनाए रखने में अद्वितीय सेवा दी है। उनके जैसे लोग और एडीआर किसी भी लोकतंत्र के लिए बेहद अहम हैं, क्योंकि वे सत्ता से सवाल करते हैं, जो कि किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है।"

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चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने लिखा, "जगदीप एस. छोकर (जन्म 1944), आईआईएम अहमदाबाद के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के संस्थापकों, न्यासियों और मार्गदर्शक प्रकाश पुंजों में से एक का आज सुबह निधन हो गया।"

उन्होंने आगे लिखा, "वे सचमुच लोकतंत्र और जनहित के निस्वार्थ सेनानी थे। बेहद विनम्र और आत्ममुक्त स्वभाव वाले छोकर साहब और एडीआर पिछले दो दशकों में हुए कई बड़े चुनावी सुधारों के पीछे रहे हैं, जिनमें प्रत्याशियों की संपत्ति और आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा शामिल है। एडीआर ही SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के खिलाफ मुख्य याचिकाकर्ता है। उनका पार्थिव शरीर उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार दान किया जा रहा है।"

योगेंद्र यादव ने कहा, "अलविदा छोकर साहब, आपके मार्गदर्शन और सार्वजनिक जीवन में आपके निर्मल उद्देश्य की हमें हमेशा कमी खलेगी।"

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प्रारंभिक जीवन और करियर

जगदीप एस. छोकर IIM अहमदाबाद में संगठनात्मक व्यवहार (Organizational Behaviour) के प्रोफेसर रहे, जहां उन्होंने शिक्षक, शोधकर्ता और सलाहकार की भूमिका निभाई। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने, उम्मीदवारों की शैक्षणिक, वित्तीय और आपराधिक पृष्ठभूमि सार्वजनिक करने के लिए काम किया। ADR की स्थापना 1999 में हुई थी, जिसमें उन्होंने त्रिलोचन सास्त्री, अजीत राणे आदि के साथ मिलकर महत्वपूर्ण PIL याचिकाएं दायर कीं।

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ADR में योगदान और चुनाव सुधार

ADR के माध्यम से जगदीप छोकर ने कई मौकों पर लोकतंत्र की प्रक्रियाओं में सुधार लाने की पहल की। उनके प्रयासों से उम्मीदवारों की आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी जनता के सामने आई, और मतदाता सूची में पारदर्शीता बढ़ाने के लिए SIR जैसे अभियानों पर उन्होंने आवाज उठाई।

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