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महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी बीजेपी की हालत नाजुक, LJP ने तोड़ा नाता, 50 सीटों पर अकेले लड़ने का किया ऐलान

केंद्र में बीजेपी की अगुआई वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल एलजेपी ने झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिसे बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

महाराष्ट्र में सहयोगी शिवसेना के रवैये के कारण सरकार बनाने का अवसर खो चुकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने सहयोगियों से समस्या अभी खत्म नहीं हुई है और अब आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर झारखंड में भी वह ऐसी ही स्थिति का सामना कर रही है।

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर से पांच चरणों में चुनाव होंगे। यहां बीजेपी को अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) से भी मुकाबला करना होगा। जेडूयी ने राज्य की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके अलावा सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने भी राज्य में बीजेपी को आंखें दिखाई है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी आजसू ने 12 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। वहीं एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी 50 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

इससे पहले सोमवार को चिराग पासवान ने कहा था कि एलजेपी ने जिन सीटों की मांग की थी उनमें से अधिकांश की घटक दल भाजपा के घोषणा कर दिए जाने के मद्देनजर उनकी पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने के लिए तैयार है।

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। इस बैठक में उन्हें लगातार दूसरी बार जेडीयू प्रमुख चुना गया था। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि पार्टी झारखंड में सभी सीटों पर अपने दम पर लड़ेगी और बीजेपी से गठबंधन नहीं करेगी। जेडीयू का बीजेपी को मुश्किल में डालने का इतिहास रहा है।

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद जेडीयू ने लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन किया था। इस महागठबंधन ने राज्य में बीजेपी को हाशिये पर खड़ा कर दिया। हालांकि जून 2017 में जेडीयू गठबंधन से बाहर आ गया और राज्य में सरकार बनाने के लिए दोबारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गया।

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने राज्य में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि मंत्रिमंडल में मन का विभाग नहीं मिलने पर नीतीश की पार्टी ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने पर नीतीश ने भी राज्य में मंत्रिमंडल पुनर्गठन में सहयोगी बीजेपी को ज्यादा महत्ता नहीं दी थी।

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

जेडीयू ने मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी तीन-तलाक विधेयक को भी संसद में समर्थन नहीं दिया। बीजेपी को वहीं दूसरी तरफ राज्य में अन्य सहयोगियों का विश्वास हासिल करने के लिए भी कठिन मेहनत करनी पड़ रही है। राज्य में साल 2012 तक हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी। लेकिन झामुमो ने भी बीजेपी को झटका दे दिया था।

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी के महागठबंधन ने पहले ही राज्य में साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसमें सोरेन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। झामुमो 43 सीटों पर, कांग्रेस 31 सीटों पर और शेष सात सीटों पर राजद चुनाव लड़ेगी। राज्य में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में चुनाव होगा। मतगणना 23 दिसंबर को होगी।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST

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Published: 12 Nov 2019, 12:21 PM IST