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अहमदाबाद प्लेन क्रैशः पायलट के पिता ने AAIB के निष्कर्षों पर सवाल उठाए, केंद्र से औपचारिक जांच की मांग की

पुष्कराज सभरवाल ने कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि उस दिन ‘क्या’ हुआ था या दुर्घटना के पीछे के मूल तथ्य क्या हैं। इसके बजाय, इसमें एक तरफ आरोपों का सहारा लिया गया है और दूसरी ओर निर्माताओं को पूरी तरह से ‘क्लीन चिट’ दी गई है।

अहमदाबाद प्लेन क्रैशः पायलट के पिता ने AAIB के निष्कर्षों पर सवाल उठाए, दोबारा जांच की मांग की
अहमदाबाद प्लेन क्रैशः पायलट के पिता ने AAIB के निष्कर्षों पर सवाल उठाए, दोबारा जांच की मांग की फोटोः सोशल मीडिया

अहमदाबाद में जून में हादसे का शिकार हुए एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान के पायलट सुमित सभरवाल के पिता पुष्कराज सभरवाल ने एएआईबी जांच के शुरुआती निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से घटना की “औपचारिक जांच” का आदेश देने की मांग की है। अहमदाबाद से लंदन के गैटविक हवाई अड्डा जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान 12 जून को उड़ान भरने के कुछ सेकेंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में कुल 260 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें विमान में सवार 241 यात्री शामिल थे।

पुष्कराज (91) ने नागरिक उड्डयन सचिव और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) के महानिदेशक को 29 अगस्त को लिखे पत्र में कहा कि हादसे की जांच से जुड़ी चुनिंदा जानकारी लीक होने से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि सुमित (56) काफी मनोवैज्ञानिक दबाव में थे, जिसके चलते वह आत्महत्या करने पर विचार कर रहे थे।

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पत्र में कहा गया है, “इन बातों से मेरे स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा असर पड़ा है। साथ ही कैप्टन सुमित सभरवाल की छवि भी धूमिल हुई है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत भारत के नागरिक को प्रदत्त मौलिक अधिकार है।” पुष्कराज ने पत्र में मांग की है कि केंद्र सरकार विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 के नियम-12 के तहत हादसे की औपचारिक जांच का आदेश दे।

नियम-12 के तहत केंद्र सरकार भारत में पंजीकृत किसी विमान के हादसे का शिकार होने की परिस्थितियों की औपचारिक जांच का आदेश दे सकती है, अगर यह प्रतीत होता है कि ऐसी जांच कराना आवश्यक है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एएआईबी की ओर से इस पत्र पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

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एएआईबी ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी होने के बाद हादसे के पीछे की वजहों को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच कहा था कि दुर्घटना के कारणों पर अभी कोई “स्पष्ट निष्कर्ष” निकालना जल्दबाजी होगा, क्योंकि जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट में मूल वजहों का खुलासा होगा। जांच एजेंसी ने लोगों से मामले की जांच पूरी होने तक इस तरह की अटकलबाजियों से बचने का भी आग्रह किया था।

पुष्कराज ने पत्र में कहा, “प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि उस दिन ‘क्या’ हुआ था या दुर्घटना के पीछे के मूल तथ्य क्या हैं। इसके बजाय, इसमें एक तरफ आरोपों का सहारा लिया गया है और दूसरी ओर निर्माताओं को पूरी तरह से ‘क्लीन चिट’ दी गई है। यह रिपोर्ट अपने मौजूदा स्वरूप में अधूरी, ध्यान भटकाने वाली और असंगत है।”

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पत्र में दावा किया गया है कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट से चुनिंदा जानकारी सार्वजनिक की गई है। इसमें कहा गया है कि जांचकर्ताओं की ओर से ऐसी जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री जारी कर दी गई है, जिसमें कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में दर्ज डेटा भी शामिल है। पत्र में पुष्करराज ने अपने बेटे के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लगाई जा रही अटकलों को भी खारिज किया है। उन्होंने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि सुमित का तलाक हो गया था, जिसके चलते वह अवसाद से जूझ रहा था।

पत्र में कहा गया है, “खबरों में यह तथ्य शामिल नहीं किया गया है कि कैप्टन सभरवाल का लगभग 15 साल पहले तलाक हो गया था। कैप्टन सभरवाल के आत्महत्या करने के बारे में सोचने की अटकल इस बात को लेकर भी लगाई जा रही है कि वह अपनी मां की मौत से बहुत दुखी थे। उनकी मां की मौत को तीन साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है। मां की मौत के बाद वह 100 से ज्यादा उड़ानों का सफलतापूर्वक संचालन कर चुके थे।”

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पिता ने कहा, “यह ध्यान देने योग्य बात है कि पायलट के रूप में 25 वर्षों से अधिक लंबे करियर में कैप्टन सभरवाल के कारण एक भी दुर्घटना या दुर्घटना के कारण मौत का मामला सामने नहीं आया।” पत्र में कहा गया है कि कैप्टन सभरवाल के पास लगभग 15,638.22 घंटे उड़ान का अनुभव था, जिसमें से 8,596 घंटे बोइंग 787-8 विमान विमान पर थे।

इसमें दावा किया गया है कि कैप्टन सभरवाल को पायलट प्रशिक्षक यानी ‘लाइन ट्रेनिंग कैप्टन’ के पद पर भी नियुक्त किया गया था और इस उद्देश्य के लिए उनके पास डीजीसीए का लाइसेंस भी था। पत्र में पुष्कराज ने कहा है कि नियम-12 के अनुसार औपचारिक जांच न किया जाना और मीडिया को चुनिंदा जानकारी उपलब्ध कराना उनके लिए बहुत परेशान करने वाला/हानिकारक है तथा इससे उनके मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं, जिसमें उनके मृत बेटे की प्रतिष्ठा का अधिकार भी शामिल है।

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