हालात

दिल्ली-NCR में बेहद गंभीर श्रेणी में हवा की गुणवत्ता, AQI 500 के करीब, प्राइमरी स्कूल दो दिन के लिए किए गए बंद

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। लोधी रोड इलाके में AQI 438, जहांगीरपुरी में 491, आरके पुरम इलाके में 486 और IGI एयरपोर्ट (टी 3) के आसपास 473 है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंची गई है। अलम यह है कि लोगों को घरों में भी सांस लेने में दिक्कत हो रही है। घर से बाहर निकलने पर आंखों में जलन हो रही है। राजधानी में वायु गुणवत्ता (AQI) 500 के करीब पहुंच गई है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दिल्ली वालों का क्या हाल है। गंभीर प्रदूषण के चलते दिल्ली के प्राइमरी स्कूल आज से अगले दो दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब स्कूल सोमवार को खुलेंगे।

Published: 03 Nov 2023, 9:02 AM IST

राजधानी में AQI 500 के करीब

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। लोधी रोड इलाके में AQI 438, जहांगीरपुरी में 491, आरके पुरम इलाके में 486 और IGI एयरपोर्ट (टी 3) के आसपास 473 है। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है।

Published: 03 Nov 2023, 9:02 AM IST

NCR में भी बुरा हाल

दिल्ली से सटे इलाकों में भी बुरा हाल है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, नोएडा में वायु गुणवत्ता 413 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है। गाजियाबाद में भी हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई है। फरीदाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में है।

Published: 03 Nov 2023, 9:02 AM IST

हर साल यही होता हाल

यह पहली बार नहीं है जब राजधानी में इस तरह के हालात बने हैं। हर साल यही हाल होता है। अक्टूबर में 15 तारीख के बाद शहर में प्रदूषण बढ़ने लगता है। दिलावी के करीब आते-आते शहर गैस चेंबर में तब्दील हो जाता है। जनवरी में जाकर लोगों को थोड़ी राहत मिलती है। प्रदूषण को लेकर हर साल राजनीतिक हलकों में हो हल्ला मचता है। सबकुछ ठीक करने के दावे किए जाते हैं। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकलता है।

Published: 03 Nov 2023, 9:02 AM IST

प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कौन?

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलाने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार फैक्ट्रियां और कारखाने हैं। इन्हें चिन्हित किया गया है। इनमें नोएडा में 84, ग्रेटर नोएडा में 110 और गाजियाबाद में 426 यूनिट प्रदूषण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जून में आंकड़े जारी किए थे। आंकड़ों के मुताबिक, गाजियाबाद की 426 औद्योगिक इकाइयों को रेड जोन के रूप में चिह्नित किया गया था। नोएडा में ऐसी 84 और ग्रेटर नोएडा में 110 इकाइयां हैं। रेड जोन में आने वाली इकाइयों का मतलब है कि वह सबसे ज्यादा वायुमंडल में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की अधिकतम मात्रा के लिए जिम्मेदार हैं।

जिला प्रशासन के अनुसार, गाजियाबाद एक पुराना औद्योगिक केंद्र है। इसमें अब तक करीब 1,400 प्रदूषणकारी उद्योगों को शहर की नगरपालिका सीमा से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है। बाकी लोगों को स्वच्छ ईंधन अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए लगातार निगरानी और निरीक्षण किया जाता है।

Published: 03 Nov 2023, 9:02 AM IST

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Published: 03 Nov 2023, 9:02 AM IST