भारत में कोरोना वैक्सीन के उपयोग की मंजूरी के लिए शुक्रवार को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक में देश की पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी नहीं दी गई। यह वैक्सीन भारत बायोटेक द्वारा तैयार की जा रही है। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि 'कोवैक्सीन' के लिए प्रदान किया गया डेटा पर्याप्त नहीं है। समिति ने कंपनी को और अधिक जानकारी मुहैया कराने को कहा है।
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इससे पहले शुक्रवार को सीडीएससीओ, जिसे वैक्सीन से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी देने का काम सौंपा गया है, की 10 सदस्यीय विषय विशेषज्ञ समिति ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोविशिल्ड' के देश में आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी। इसके साथ ही यह भारत में पहली ऐसी वैक्सीन बन गई, जिसे आपातकालीन उपयोग के लिए समिति की मंजूरी मिल गई।
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पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में क्लिनिकल परीक्षण और 'कोविशिल्ड' के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है, जबकि भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' बनाई है। आज की बैठक में समिति की ओर से वैक्सीन के लिए रास्ता साफ होने के बाद अंतिम अनुमोदन के लिए आवेदन भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) वी. जी. सोमानी को भेज दिया गया है।
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विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से कोविशिल्ड और भारत बायोटेक द्वारा 'कोवैक्सीन' के लिए मांगी गई मंजूरी पर निर्णय लेने के लिए यह बैठक बुलाई थी। अमेरिका की फाइजर पहली वैक्सीन थी, जिसने चार दिसंबर को त्वरित अनुमोदन के लिए आवेदन किया था। इसके बाद क्रमश: छह और सात दिसंबर को सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने आवेदन किया था। फाइजर ने हालांकि अभी डेटा पेश करने के लिए और समय मांगा है।
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बता दें कि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन ड्राइव के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना बनाई है। वैक्सीन सबसे पहले एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ ही दो करोड़ फ्रंटलाइन और आवश्यक वर्कर्स और 27 करोड़ बुर्जुगों को दी जीएगी। वैक्सीन के लिए पहले से बीमारियों का सामना कर रहे 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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