हालात

असम चुनाव: कांग्रेस की जमीनी तैयारी और वादों की गारंटी बनाम बीजेपी का बिना नैरेटिव और बिना नेता का प्रचार

असम चुनाव के चार निर्णायक पहलू हैं। एक सीएए, दूसरा चाय बगानों के लोग, तीसरा कांग्रेस, एआईयूडीएफ और दूसरे छोटे दलों का गठजोड़ और चौथा कांग्रेस के लिए प्रचार करते छत्तीसगढ़ के लोग।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

डिब्रूगढ़ से गुआहाटी सड़क के रास्ते आते हुए चुनाव के रंग वैसे नहीं दिखलाई दिये, जैसे हिंदी पट्टी में देखने के हम आदी हैं। सड़क से ज़्यादा चुनाव का शोर टीवी पर है और मोबाइल पर भी।पर एजेंडा वहां से तय नहीं हो रहा। लोगों से बात करो तो साफ़ कोई नहीं बोलता। थोड़ा तौल कर कहते हैं, देखेंगे क्या होता है।

असम चुनाव के चार निर्णायक पहलू हैं। एक सीएए, दूसरा चाय बगानों के लोग, तीसरा कांग्रेस, एआईयूडीएफ और दूसरे छोटे दलों का गठजोड़ और चौथा कांग्रेस के लिए प्रचार करते छत्तीसगढ़ के लोग।

सीएए : ये आग है बड़ी

बीजेपी भरसक कोशिश कर रही है कि सीएए - एनआरसी क़ानून लागू करने की जो आग उसने लगाई थी, उसके लपेट में वह न आए। पिछले मैनिफेस्टो में ये वायदा था, इस बार नहीं है। हालांकि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई नेता अभी भी सीएए को लागू करने की बात कर रहे हैं, उससे उनके वोट असम में कम ही हो रहे हैं। असम में तो क़रीब 19 लाख लोगों की नागरिकता को संदिग्ध करार दिया गया था। बहुत से लोगों पर न सिर्फ़ नागरिकता छीने जाने की तलवार लटक गई थी, बल्कि बहुतों को हिरासत में भी भेज दिया गया था।

सड़कों पर, अख़बारों में और क्षेत्रीय प्राइम टाइम बहसों को देखें, तो ऐसा लगता भी है, पर है नहीं। पर बहुत सारे लोगों के लिए यह चुनाव सीएए-एनआरसी पर रेफरेंडम की तरह है। लोग ग़ुस्सा तो हैं, पर वह सतह पर दिखलाई नहीं पड़ता। ग़ुस्सा सिर्फ़ सीएए को लेकर ही नहीं है, बल्कि नोटबंदी से लेकर तेल के दाम, नौकरियों से लेकर दिहाड़ी बढ़ाने को लेकर न पूरे किये वायदे तक पर भी हैं।

Published: undefined

बीजेपी की दिक़्क़त ये है कि जिन तीन राज्यों में वह इस वक़्त चुनाव लड़ रही है, तीनों में उसे वोट पाने के लिए तीन तरह की बातें करनी पड़ रही है। सीएए पर वह असम में चुप्पी ओढ़े हुए है, बंगाल में वह कुछ और बोल रही है और तमिलनाडु में कुछ और। बीजेपी की कोशिश है कि वह अपने अब तक के किये धरे पर लीपापोती कर मतदाताओं को अपनी तरफ़ कर ले।

नैरेटिव तय है, नेता

बीजेपी का एक बड़ा संकट उसके पास नैरेटिव का नहीं होना है। उसके नेता अभी भी प्रचार विपक्षी दल की तरह करते हैं, जैसे सरकार कांग्रेस की ही हो। जैसे उनके 5 साल के निकम्मेपन का ठीकरा भी कांग्रेस के सर ही फोड़ दिया जाए। शोर बहुत हो, तो लोगों को सवाल करने की जगह और मौक़े नहीं मिल पाते, पर जवाब उनके पास तैयार हो रहा है।

उधर कमरे में एक बड़ा हाथी हेमंत बिस्वा सरमा का है, जो बीजेपी की तरफ़ से प्रचार करता हुआ सबसे प्रमुखता से दिखलाई देता है। बीजेपी चुनाव के आख़िरी तक ये तय नहीं कर पाई है, चुनाव अपने वर्तमान मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल की अगुवाई में लड़े या फिर हेमंत बिस्वा को आगे करे। किसी एक को भी आगे करने के जो ख़तरे थे, उसके मुकाबले इस अनिर्णय की स्थिति को बेहतर मान लिया गया।

Published: undefined

उत्तरी असम की गुत्थी

उत्तरी असम में सीएए को लेकर खासी आग लगी थी। कई लोग मारे गए थे और आंदोलन अभी भी बंद नहीं हुए हैं। वहीं बीजेपी को निर्णायक वोट मिले थे और उस वक़्त विपक्ष भी बहुत संगठित नहीं था। उत्तरी असम की इन 47 सीटों पर इस बार बीजेपी के लिए मुश्किलें बहुत ज़्यादा हैं। पिछली बार बीजेपी और सहयोगी पार्टियों ने चाय बाग़ान इलाक़ों में खासी सीटें जीती थीं। इसके पीछे वादा था कि चाय बागान कर्मियों की न्यूनतम दिहाड़ी 350 रुपये की जाएगी। इन चुनावों से जरा पहले राज्य सरकार ने किया भी तो 217 रुपये, मगर अभी भी उसे लेकर कई किन्तु-परन्तु लगे हुए हैं।

भारतीय जनता पार्टी के सुपर स्टार प्रचारक और चाय से विशेष रिश्ता रखने वाले नरेंद्र मोदी इसके ऐवज में चाहते हैं कि असम की चाय को बदनाम करने की तथाकथित साज़िश करने वाली ग्रेटा थुम्बर्ग के तार कांग्रेस से जोड़कर उत्तरी असम के लोग न सिर्फ़ सेंटी हो जाएं बल्कि वोट भी बीजेपी को ही दे दें।

Published: undefined

छत्तीसगढ़ फैक्टर

उधर कांग्रेस के अभियान में बहुत ज़्यादा तैयारी है। क़रीब 400 के आसपास नेता- कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ से आकर विधानसभा क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इसके लिए बाक़ायदा संकल्प शिविर, प्रशिक्षण, समन्वय और संचार के मज़बूत ढाँचे खड़े किये गये हैं। बहुत दिनों बाद कांग्रेस ने अपनी ज़मीनी मौजूदगी को सक्रिय किया है, जो बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को शामिल कर अपनी लड़ाई लड़ रही है। तरुण गोगोई जैसे क़द्दावर नेता की मृत्यु के बाद असम में पार्टी का नेतृत्व मिल कर चुनाव लड़ रहा है। इस बार टिकट भी पंचायत और तहसील स्तर के नेताओं की रायशुमारी के बाद तय किये गये हैं। इस बार के चुनाव में कांग्रेस के कार्यकर्ता की हिस्सेदारी ठीक से सुनिश्चित की गई है।

कांग्रेस का एजेंडा सकारात्मक है और उसकी 5 गारंटियां लोगों को समझ में आ रही है। बीजेपी की मैसेजिंग न साफ़ है, न उनके पिछले वायदों, कार्यक्रमों और इस बार के वायदों को वह ख़ुद गंभीरता से लेती है। कांग्रेस की चुनौती ये है कि वह लोगों को तसल्ली दिलवा सके कि वह इन गारंटियों पर अमल करेगी। ताकि लोग आश्वस्त हो सकें, इसके लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी टीम छत्तीसगढ़ उन कार्यक्रमों की बात करती है, जो छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार आने के बाद लागू किए गए हैं।

Published: undefined

गठबंधन की ताक़त

भारतीय जनता पार्टी लोगों को भावनात्मक तरीक़े से उलझाना चाहती है। उनके नेता कांग्रेस को बदरूद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ से गठबंधन के कारण, मुस्लिम परस्त, घुसपैठियों को शह देने वाली, राष्ट्रविरोधी और सुबह शाम साम्प्रदायिक करार देने की कोशिशें कर हिंदू वोट को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी इस महाजोट को महाझूठ करार देते हैं। वह ये भी कह रहे हैं कि जो काम कांग्रेस से 70 सालों में नहीं किया, वह विकास बीजेपी कर के दिखाएगी। पर साफ नहीं कहते क्या। कांग्रेस के नेता ये रेखांकित करते हैं कि कब कब बीजेपी ने एआईयूडीएफ से सहयोग लिया है। इस साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के ख़िलाफ़ भूपेश बघेल अपनी रैलियों में गौतम बुद्ध और कबीर के बारे में बात करते हैं। वह ये भी बताते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र की जिन संपत्तियों को मोदी सरकार बेच रही है, वह सब कांग्रेस की बनाई हुई थी।

Published: undefined

उधर बीजेपी के साथ असम गण परिषद है, जिसकी विश्वसनीयता पहले से काफ़ी कम है। ख़ास तौर पर जिस तरह वह क्षेत्रीय अस्मिता का झंडा उठाने वाली पार्टी रही है। एक पक्ष दोनों गठबंधनों के बाहर का भी है, जिनमें से अखिल गोगोई का राजोर दल है। अखिल गोगोई इस वक़्त सीएए के ख़िलाफ़ और असमिया अस्मिता के बड़े आंदोलनकारी की तरह देखे जाते हैं, पर अस्पताल से लिखी एक चिट्ठी ने उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के ज़रिये मोदी सरकार ने उन्हें बीजेपी में शामिल होने, ज़मानत देने, 20 करोड़ रूपये का प्रलोभन दिया था।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined