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लॉकडाउन फिर बढ़ाने पर कांग्रेस का मोदी सरकार से सवाल- कहां है कोरोना के खिलाफ ठोस राष्ट्रीय योजना

कांग्रेस ने लॉकडाउन बढ़ाए जाने पर मोदी सरकार से पूछा है कि इससे बाहर निकलने का रोडमैप क्या है? कांग्रेस ने कहा कि इस दौरान मजदूरों की घर वापसी, भयंकर बेरोजगारी, ठप्प व्यवसायों और संकट से घिरी अर्थव्यवस्था से उबरने के लिए सरकार बताए उसके पास क्या योजना है?

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कांग्रेस ने देश में कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ाए जाने को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि इस लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए उनकी सरकार की क्या योजना है और यह पूरी तरह कब खत्म होगा। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया, “लॉकडाउन के तीसरे चरण के पीछे सरकार की क्या रणनीति है और इसके आगे का क्या रास्ता है? लॉकडाऊन 3.0 के दौरान सरकार के पास मजदूरों की घर वापसी, भयंकर बेरोजगारी, ठप्प होते व्यवसायों व संकट से घिरी अर्थव्यवस्था से उबरने का भविष्य का रोडमैप क्या है?

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कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार से पूछा कि “सरकार बताए उसका 17 मई तक कोरोना संक्रमण और आर्थिक संकट से उबरने का लक्ष्य क्या है? सरकार ने 17 मई तक कोरोना संक्रमण, बेरोजगारी की समस्या और आर्थिक संकट से निपटने के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किए हैं? उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 17 मई तक क्या सार्थक और निर्णायक कदम उठाए जाएंगे?'

रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से मांग की कि देश भर में फंसे लाखों मजदूरों को 15 दिन में बिना किराया लिए घर वापस पहुंचाने के लिए सैनिटाइज की गई ट्रेनों का इंतजाम किया जाए। देश के गरीबों-मजदूरों के जन-धन खातों, किसान योजना खातों, मनरेगा मजदूरों के खातों और बुजुर्गों, महिलाओं और विकलांगों के खातों में सीधे 7500 रुपये डाले जाएं।

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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के संकट का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने पूछा कि देश में 11 करोड़ नौकरी देने वाली 4.25 करोड़ एमएसएमई इकाइयों के लिए राहत पैकेज कहां है। उन्होंने कहा एमएसएमई सेक्टर को फौरन तनख्वाह और ऋण गारंटी पैकेज दिया जाए। साथ ही उन्होंने मांग रखी कि मध्यमवर्गीय और नौकरीपेशा लोगों की नौकरी की सुरक्षा का पैकेज तय हो और संकट के कारण जा रही करोड़ों नौकरियों और तनख्वाहों में कटौती पर रोक लगे।

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सुरजेवाला ने देश में कोरोना जांच की कम संख्या का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि जांच की संख्या कई गुना बढ़ाई जाए। साथ ही डॉक्टर, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों को निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) मुहैया करवाए जाने के साथ ही उन्हें विशेष आर्थिक मदद दी जाए। यही सारी सुविधाएं पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों और अन्य जरूरी सेवाओं में लगे कर्मियों को भी मिलें।'

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