कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा, “मैं उन सैकड़ों किसानों को भी श्रद्धांजलि देता हूं जो आंदोलन के दौरान शहीद हो गए। जो इस समय गतिरोध बना हुआ है, किसानों और सरकार के बीच, यह पहली बार नहीं हुआ है। यह सैकड़ों सालों से इस तरह की लड़ाई चलती आ रही है। कई दिन से मैं किसानों के आंदोलन के बारे में पढ़ रहा था। उन आंदोलनों के बार में भी पढ़ा जो अंग्रेजों के दौर में चलीं। उस दौर में भी सरकारों को झुकना पड़ा था। किसानों की ताकत से बड़ी कुछ नहीं है।”
आजाद ने अंग्रेजों के जमाने में हुए किसान आंदोलन, सरदार पटेल के किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए अक्टूबर 1988 के ‘बोट क्लब किसान आंदोलन’ से जुड़ अपने संस्मरण का जिक्र किया।
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उन्होंने आगे कहा कि देश के अन्नदाताओं से कैसी लड़ाई लड़नी। हमको चीन और पाकिस्तान से लड़ाई लड़नी चाहिए। पूरा देश और सारी पार्टियां साथ हैं और हम अब चाहते हैं कि किसानों का फायदा हो। 26 जनवरी को जो लाल किले पर हुआ वो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता जो भी शामिल थे उनको कड़ी से कड़ी सजा मिले लेकिन बेगुनाह लोगों को न फंसाया जाए।
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