
उत्तर प्रदेश के रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को 8 साल पुराने उस मामले में बरी कर दिया है, जिसमें उन पर 2017 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सेना के जवानों को लेकर कथित तौर पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका, इसलिए आजम खान को किसी भी आरोप में दोषी नहीं माना जा सकता।
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इस प्रकरण की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी, जब बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने आजम खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। उनका दावा था कि चुनावी माहौल में आजम खान ने सेना के जवानों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। यह मामला धीरे-धीरे राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बना और इसके बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई।
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करीब 8 वर्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने शुक्रवार को अपना अंतिम निर्णय सुनाया। न्यायालय ने साफ कहा कि दिए गए आरोपों के समर्थन में मजबूत, ठोस और निर्णायक साक्ष्य नहीं थे। ऐसे में आजम खान को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
निर्णय सुनाए जाने के दौरान कोर्ट परिसर में सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल तैनात था और पूरे क्षेत्र में निगरानी बढ़ाई गई थी।
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हालांकि इस मामले में राहत मिलने के बावजूद आजम खान की जेल से रिहाई फिलहाल संभव नहीं है। वह अभी भी दो पैन कार्ड मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रामपुर जेल में बंद हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी इसी पैन कार्ड मामले में सजा काट रहे हैं।
नए फैसले के बाद सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में एक तरह की राहत और उत्साह देखा जा रहा है। पार्टी का मानना है कि यह फैसला उनके बड़े नेता के लिए बड़ी कानूनी जीत है।
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फैसले से पहले अदालत परिसर के बाहर भीड़ बढ़ने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा लगाई थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिन पक्षों का केस से संबंध है, उन पर विशेष निगरानी रखी गई ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो। निर्णय सुनाए जाने के बाद माहौल शांतिपूर्ण रहा और समर्थकों ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया।
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