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बाबरी केसः आरोपियों के बरी होने के खिलाफ याचिका को हाईकोर्ट ने क्रिमिनल अपील में बदला, अब 1 अगस्त को सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अपने आदेश में कहा कि पुनरीक्षण याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी, इसलिए वह अपने कार्यालय को इसे आपराधिक अपील के रूप में बदलने का निर्देश दे रहे हैं। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त तय की है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, चंपत राय, विनय कटियार, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतभंरा और अन्य वरिष्ठ बीजेपी और आरएसएस नेताओं को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका पर आज सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने याचिका को आपराधिक याचिका में बदलने का आदेश देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त तय कर दी है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने आदेश में कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, वरिष्ठ बीजेपी नेता एमएम जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, बृजभूषण शरण सिंह सहित सभी 32 आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपने कार्यालय को संशोधन कर याचिका को आपराधिक अपील के रूप में बदलने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त तय की है।

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यह याचिका 8 जनवरी, 2021 को अयोध्या के हाजी महबूब और सैय्यद अखलाक द्वारा दायर की गई है। दोनों को बाबरी मस्जिद विध्वंस केस के गवाह के रूप में अदालत में पेश किया गया था। उनके घर मस्जिद के बगल में थे। 6 दिसंबर 1992 को विध्वंस के बाद उनके घरों पर हमला किया गया और उन्हें जला दिया गया था।

लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने 1 अक्टूबर, 2020 को बाबरी मस्जिद विध्वंस केस के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। बरी होने के 100 दिन बाद सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष एक पुनरीक्षण याचिका दायर की।

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6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें 1,026 गवाह और सुनवाई के दौरान 48 आरोपी सूचीबद्ध थे। आरोपियों में 16 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। मुकदमे के दौरान जिनका निधन हो चुका, उनमें शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, गोरखनाथ मठ के पूर्व प्रमुख महंत अवैद्यनाथ, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व प्रमुख विष्णु हरि डालमिया, अयोध्या में राम जन्मभूमि न्यास के पूर्व प्रमुख महंत रामचंद्र दास परमहंस और विहिप नेता अशोक सिंघल शामिल हैं।

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