ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में 16-16 घंटे की चर्चा होगी। राज्यसभा सांसद और राजद नेता मनोज झा ने इस पर कहा कि हमें केवल सरकार के प्रस्तुत किए गए नैरेटिव को नहीं, बल्कि इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि को भी समझना चाहिए।
मनोज झा ने कहा कि इसकी पृष्ठभूमि में जाइए, सरकार के नैरेटिव को मत देखिए सिर्फ। पहलगाम की पीड़ा इस पूरे ऑपरेशन की नींव है। उस पीड़ा की बुनियाद पर ही ऑपरेशन सिंदूर हुआ। पूरा देश और समाज सामूहिक पीड़ा से आहत था। यह जरूरी है कि चर्चा सिर्फ उपलब्धियों तक सीमित न रहे, बल्कि यह भी समझा जाए कि विफलता कहां हुई। हम पुलवामा को आज तक नहीं समझ पाए कि आखिर क्या हुआ था कि हमने अपने इतने जवान खो दिए।
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उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान आता है। उन्होंने कभी ट्रेड की धमकी दी, कभी कुछ और। हर पहलू पर चर्चा होनी चाहिए कि कहां क्या चूक हुई, हम वैश्विक मंचों पर मित्रविहीन क्यों दिखाई दिए।
ऑपरेशन सिंदूर को एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने को लेकर सवाल किए जाने पर मनोज झा ने कहा कि अगर सरकार का विचार है, तो कोई आपत्ति नहीं, लेकिन इसे पूरी पृष्ठभूमि के साथ जोड़ा जाए। हमने भी अपने समय में ब्रिगेडियर उस्मान और 1962 की लड़ाई जैसे ऐतिहासिक अध्याय पढ़े हैं। मेरा आग्रह है कि सरकार का यह फैसला सिर्फ हेडलाइन मैनेजमेंट न बन जाए। उन्होंने कहा कि यह पूरे देश की मांग है कि संविधान की प्रस्तावना के साथ-साथ डॉ. भीमराव अंबेडकर की 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का एक संक्षिप्त प्रारूप हर बच्चे को पढ़ाया जाए। अगर यह देश समतामूलक बनना चाहता है और न्याय में भरोसा बनाए रखना चाहता है, तो यह अत्यंत आवश्यक है।
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बिहार की कानून व्यवस्था पर एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान ने सवाल उठाया, क्या एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? इस पर उन्होंने कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक है या नहीं, इस बात की चिंता एनडीए करे। बिहार की कानून-व्यवस्था मेरी चिंता है। आप मुझसे बात कर रहे हैं, इसी समय बिहार में कहीं न कहीं गोली चल गई होगी, कोई हत्या हो गई होगी। उन्होंने आगे कहा कि चिराग पासवान खुद केंद्र सरकार में मंत्री हैं, प्रधानमंत्री मोदी के 'हनुमान' कहे जाते हैं। फिर फोन उठाइए और पीएम मोदी को बोलिए कि जैसे बंगाल में वह फैक्ट फाइंडिंग टीम भेजते हैं, वैसी ही एक टीम बिहार भेजिए।
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