हालात

बिहार के बैंक हुए गरीब, एटीएम कंगाल, पैसे के लिए दर-दर भटक रहे हैं लोग

बिहार में बैंक निर्धन हो गई हैं और एटीएम कैशलैस। लोगों को न तो बैंकों से पैसा मिल रहा है और न ही एटीएम से। एटीएम खाली हैं और बैंकों में जाने पर अगले दिन आने को कहा जा रहा है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

बिहार में इन दिनों कैश के लिए मारामारी हो रही है। न तो बैंकों में पैसा है और न ही एटीएम में।राजधानी पटना को तो बुरा हाल है। लोगों को पैसे के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। बैंक अधिकारी इसके लिए आरबीआई को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि आरबीआई से उन्हें जरूरत के मुताबिक कैश नहीं मिल रहा है। यह हालत सरकारी और निजी दोनों ही बैंकों की है।

नवजीवन से बात करते हुए एसबीआई के एक ग्राहक अभिनंदन कुमार ने बताया कि, “मुझे बेहद जरूरी काम के लिए 10 हजार रूपए की जरूरत थी, लेकिन 10 एटीएम घूमने के बाद भी मुझे पैसा नहीं मिला। एक प्राइवेट बैंक के एटीएम से मात्र 4000 रूपए ही हाथ आए। और इसके लिए अब मेरे खाते से ट्रांजैक्शन चार्ज कट जाएगा।” अभिनंदन ने बताया कि वे पैसा निकालने बैंक ब्रांच भी गए थे, लेकिन उन्हें अगले दिन आने को कहा गया।

इसी तरह एक 50 वर्षीय व्यक्ति भी तीन बार एटीएम का चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें पैसा नहीं मिला। थक हारकर उन्होंने दूसरे शहर में अपने बेटे से कुछ पैसे किसी के हाथ भेजने को कहा। इस किल्लत पर एसबीआई ऑफिसर्स इंप्लाई एसोसिएशन के अध्यक्ष उमाकांत सिंह कहते हैं कि उनकी ब्रांचों में पर्याप्त पैसा है ही नहीं। नवजीवन से बात करते हुए उन्होंने बताया कि, “हमारी चेस्ट क्षमता 12 हजार करोड़ रुपए है, लेकिन आरबीआई से हमें सिर्फ 2.5 हजार करोड़ रुपए ही मिल रहे हैं। इसमें से भी 600 करोड़ रुपए बिहार में लगे एसबीआई के 1500 एटीएम में चले जाते हैं।”

Published: 04 Apr 2018, 5:17 PM IST

उमाकांत सिंह ने बताया कि पहले उन्हें नकदी लाने के लिए साल में एक-दो बार ही आरबीआई जाना होता था, लेकिन अब हर महीने दो बार जाना पड़ता है। उनका कहना है कि इसस पैसे को लाने का खर्च भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आरबीआई ही पैसे नहीं देगा तो हम कैसे जरूरत पूरी करेंगे। उनका कहना है कि ऐसे हालात इससे पहले कभी नहीं रहे।

कुछ खबरों के मुताबिक बिहार के कई इलाकों की बैंकों में 2000 और 500 रुपए के नोटों की भारी कमी है। साथ ही 200 रुपए के नोट के लिए अभी तक सारे एटीएम को कैलिबर नहीं किया गया है। उमाकांत सिंह कहते हैं कि, “अब तो 2000 रुपए के नोट आ ही नहीं रहे हैं। हमें सुनने को मिला है कि सरकार ने 2000 के नए नोट छापना बंद कर दिए हैं।” मौजूदा हालात पर उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा कि, “हमें नहीं पता कि यह स्थिति कब तक रहेगी।”

उन्होंने सरकार की डिजिटल होने की नीति की आलोचना करते हुए जोड़ा कि सरकार ने कैशलैस का नारा तो दे दिया, लेकिन लोगों को इसकी प्रक्रिया तक नहीं पता है। गांवों में रहने वालों को कैसे कैशलैस किया जा सकता है।

Published: 04 Apr 2018, 5:17 PM IST

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Published: 04 Apr 2018, 5:17 PM IST