बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल और गठबंधन चुनावी मैदान में अपने योद्धाओं को उतारने की तैयारी में हैं। इस बीच सभी दल अपनी-अपनी संभावित विजय को लेकर रणनीति तैयार कर रहे हैं। ऐसे में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने 32 सीटों की पहली सूची जारी करते हुए यह भी घोषणा कर दी कि वह इस चुनाव में सौ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।
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एआईएमआईएम की इस तैयारी ने महागठबंधन, खासकर राजद के रणनीतिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें उभार दी हैं। महागठबंधन के नेता खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन एआईएमआईएम को बीजेपी की बी-टीम बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे और पांच सीटों पर जीत दर्ज कर मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी मजबूती को साबित किया था। हालांकि, बाद में पार्टी के चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे।
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एआईएमआईएम के इस घोषणा के बाद मुस्लिम मतदाताओं के वोटों का बंटवारा होना तय माना जा रहा है, जिससे आरजेडी के साथ महागठबंधन का खेल बिगड़ सकता है। हैदराबाद के सांसद और पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी पिछले दिनों सीमांचल का दौरा कर यह संदेश दे दिया था कि उनकी पार्टी इस विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से उतरेगी।
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पार्टी ने तो इस चुनाव को लेकर यहां तक दावा किया कि उसका लक्ष्य बिहार में एक 'तीसरा विकल्प' तैयार करना है, जहां वर्षों से राजनीति बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की बात महागठबंधन में नहीं बनती है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस एआईएमआईएम के साथ चुनावी मैदान में भी दिख सकते हैं। ऐसे में सीमांचल के इलाकों में चुनावी गणित के बदलने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव कहते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी पांच साल में एक बार आते हैं। सीमांचल और कोसी मेरे लिए खून और सांस का रिश्ता है। मैं इतना जानता हूं कि मेरी मां के प्यार को छीनने की ताकत दुनिया में किसी के पास नहीं है।
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एआईएमआईएम ने महागठबंधन में शामिल होने को लेकर इच्छा व्यक्त की थी। पार्टी ने इसे लेकर आरजेडी प्रमुख लालू यादव और महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को पत्र भी लिखा था, लेकिन उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई थी। इसके बाद एआईएमआईएम ने अपनी रणनीति बदल दी है।
सीमांचल के अधिकांश सीटों पर मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं।आरजेडी भी मुस्लिम मतदाताओं को अपना 'वोट बैंक' समझती है। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
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