बिहार में बढ़ते अपराध और बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर पूर्णिया से लोकसभा सांसद और जन अधिकार पार्टी (JAP) के प्रमुख राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने राज्य सरकार पर करारा हमला बोला है। उन्होंने हाल ही में राजधानी पटना में आरजेडी नेता की हत्या सहित अन्य आपराधिक घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि बिहार पूरी तरह भगवान भरोसे चल रहा है, और सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।"
आईएएनएस से बातचीत में पप्पू यादव ने बिहार में हाल ही में घटी दो गंभीर घटनाओं का जिक्र करते हुए नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "सीवान में आरजेडी नेता लाली यादव की सरेआम हत्या कर दी गई। दूसरी ओर, एक विकलांग दुकानदार मुन्ना, जो अपने जीवन-यापन के लिए दुकान चलाते थे, उन्हें भी पांच गोलियां मार दी गईं। दुख की बात ये है कि उनके दोनों पैर काम नहीं करते थे, और उनकी पत्नी भी विकलांग हैं। ऐसे इंसान की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई। क्या बिहार में कोई कानून-व्यवस्था बची है?"
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में चुनावी माहौल बन चुका है, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। "नेता चुनावी मोड में हैं, प्रशासन गायब है, और जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। पूरा राज्य भगवान के भरोसे चल रहा है,"
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पप्पू यादव ने यह भी आशंका जताई कि अगर यही हालात रहे तो बिहार में निष्पक्ष चुनाव कराना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा, "अब बिहार में यह कहना मुश्किल है कि कौन किसे गोली मरवा देगा या कौन खुद गोली चलवाएगा। राजनीतिक हत्याएं बढ़ेंगी और नेताओं की जान को खतरा रहेगा। वर्तमान में सिस्टम पूरी तरह से धाराशायी हो चुका है। आम आदमी की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं बची है।"
महागठबंधन में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर उठते सवालों पर पप्पू यादव ने स्पष्ट किया कि इस वक्त असली मुद्दा नेतृत्व नहीं, बल्कि एनडीए को हराने और बिहार की राजनीति को सही दिशा में ले जाने का है।
उन्होंने कहा किसी को भी यह अधिकार है कि वह कहे कि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री कौन होगा, लेकिन इस समय सबसे अहम है कि हम भाजपा और एनडीए गठबंधन को हराएं और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करें,"
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पप्पू यादव ने न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि केंद्र की विदेश नीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की विदेश नीति कमजोर हुई है, जिससे हमारे पारंपरिक मित्र राष्ट्र भी हमसे दूर हो रहे हैं।
"रूस, जो भारत का सबसे पुराना मित्र रहा है, अब वैसा समर्थन नहीं दे रहा। पहलगाम के बाद रूस ने खुलकर हमारा साथ नहीं दिया। इज़रायल एकमात्र ऐसा देश है जो मजबूती से भारत के साथ खड़ा है। दूसरी ओर, चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्ते बिगड़े हुए हैं, और चीन ने नेपाल के साथ अपने संबंध काफी मजबूत कर लिए हैं।"
उन्होंने कहा कि देश न सिर्फ बाहरी मोर्चे पर, बल्कि भीतरी मोर्चे पर भी संकट से गुजर रहा है हम अपनी आंतरिक समस्याएं सुलझाने में नाकाम रहे हैं, जिससे देश भीतरी कलह का शिकार हो रहा है," उन्होंने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा।
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