बिहार में एसआईआर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हुए, कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के ‘क्रूर हमले’ से बच गया है। पार्टी ने दावा किया कि आयोग ‘पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम’ हो गया है।
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विपक्षी दल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल करके संशोधन को और अधिक समावेशी बनाने के लिए सुरक्षा उपाय किए हैं। उसने आरोप लगाया कि अब तक, ईसीआई का दृष्टिकोण ‘बाधा डालने वाला और मतदाताओं के हितों के विपरीत’ रहा है।
कांग्रेस का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्वाचन आयोग को यह निर्देश दिए जाने के बाद आया है कि वह बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में हटाए गए मतदाताओं को भौतिक रूप से दावा प्रस्तुत करने के अलावा ऑनलाइन माध्यम से दावे प्रस्तुत करने की अनुमति दे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आधार कार्ड नंबर और एसआईआर में स्वीकार्य 11 दस्तावेजों में से किसी एक के साथ दावा प्रपत्र जमा करने की अनुमति दी।
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मतदाता सूची में से पैंसठ लाख मतदाताओं के नाम हटाने के संबंध में आपत्तियां दर्ज कराने में राजनीतिक दलों के आगे नहीं आने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उन्हें अदालती कार्यवाही में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत करती है। उन्होंने दावा किया, ‘‘लोकतंत्र भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के क्रूर हमले से बच गया है।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा कि 14 अगस्त को, उच्चतम न्यायालय ने हटाए गए मतदाताओं की सूची को रोकने के ईसीआई के फैसले को रद्द करने के लिए हस्तक्षेप किया था।
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जयराम रमेश ने कहा कि 14 अगस्त को, न्यायालय ने ईसीआई को हटाए गए मतदाताओं के लिए आधार कार्ड को पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार करने का भी निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि आज उसने आधार की एक वैध पहचान पत्र के रूप में फिर से पुष्टि की है जिसे ईसीआई को स्वीकार करना चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा, ‘‘आज, उच्चतम न्यायालय ने इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल करके संशोधन को और अधिक समावेशी बनाने के लिए सुरक्षा उपाय निर्धारित किए हैं।’’
उन्होंने कहा कि अब तक आयोग का रवैया बाधा उत्पन्न करने वाला और मतदाताओं के हितों के विपरीत रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस फैसले का विशेष रूप से स्वागत करते हैं क्योंकि यह हमें एक ऐसा अधिकार देता है जिसे निर्वाचन आयोग नजरअंदाज नहीं कर सकता।’’ जयराम रमेश ने कहा, ‘‘आज निर्वाचन आयोग पूरी तरह से बेनकाब और बदनाम हो चुका है।’’
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