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बिहार के चुनावी रण में कई पार्टियों के ‘खेवनहारों’ की प्रतिष्ठा भी लगी है दांव पर  

बिहार में लोकसभा का चुनाव सभी सात चरणों में होना है। पहले दौर का मतदान हो चुका है। लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी से लेकर आरएलएसपी तक कई पार्टियों के प्रदेश प्रमुखों और कुछ राष्ट्रीय नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

बिहार में इस लोकसभा चुनाव में कई राजनीतिक दलों के 'खेवनहार' बने नेताओं की साख भी दांव पर लगी है। यूं तो इन नेताओं पर बिहार में पार्टी संभालने का दायित्व सौंपा गया था, मगर इस चुनाव में उन्हें भी योद्धा बनाकर चुनावी समर में उतार दिया गया है। माना जा रहा है कि इस चुनाव के नतीजों से कई दलों के प्रमुखों का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की अगुवा पार्टी बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और उजियारपुर के सांसद नित्यानंद राय एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला राष्ट्रीय लोक समता पार्टी यानी आरएलएसपी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से है।

उपेंद्र कुशवाहा हालांकि उजियारपुर के अलावा अपनी पुरानी सीट काराकाट से भी चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि उजियारपुर के नतीजे से इन दोनों अध्यक्षों का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा। पिछले चुनाव में आरएलएसपी एनडीए का प्रमुख हिस्सा थी। लेकिन, इस चुनाव में आरएलएसपी विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल है जिसमें कांग्रेस और आरजेडी के अलावा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा भी है।

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के लिए यह लोकसभा चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। मांझी गया (सुरक्षित) लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। मांझी का मुख्य मुकाबला एनडीए में शामिल हुई नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू विजय कुमार मांझी से है। गया में हालांकि मतदान हो चुका है, लेकिन मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि गया के मतदाता किस 'मांझी' को पांच साल यहां की नाव को खेने की जिम्मेदारी सौंपते हैं।

इस चुनाव में महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश साहनी भी खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। इनका मुकाबला एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सासंद चौधरी महबूब अली कैसर से है।

इधर, जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख बने शरद यादव भी मधेपुरा से चुनावी मैदान में हैं। हालांकि चुनावी मैदान में शरद यादव आरजेडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी लोकसभा क्षेत्र से जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव की भी परीक्षा होनी है। माना जा रहा है कि इस चुनाव में इन दोनों नेताओं की साख दांव पर लगी है।

कभी नीतीश कुमार के सारथी रहे शरद यादव ने पिछला आम चुनाव जेडीयू से लड़ा था और आरजेडी उम्मीदवार पप्पू यादव से हार गए थे। इस बार 'लालटेन' शरद के साथ है। पप्पू यादव आरजेडी से बगावत कर इस बार अपनी पार्टी जनाधिकार पार्टी (जाप) से चुनावी मैदान में डटे हैं। इन प्रमुख नेताओं के अलावा कुछ छोटे-छोटे दलों के प्रमुख भी चुनावी मैदान में डटे हैं।

इस चुनाव में हालांकि एलजेपी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं।

बहरहाल, सभी राजनीतिक दल अपने प्रमुखों को विजयी बनाने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं, मगर 23 मई को चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि मतदाताओं ने पार्टी के किस 'खेवनहार' को अपना खेवनहार बनाया। बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में मतदान होना है।

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