बीजेपी और राज्यों में उसकी सरकारों की मुश्किलें किसान आंदोलन की वजह से बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां केंद्र की बीजेपी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने कौ तैयार नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ उसे किसानों के बढ़ते आंदोलन की वजह से शायद उसे डर भी सताने लगा है। यही वजह है कि गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणआ के करनाल में हुई हिंसा के बाद हरियाणा सरकार को सलाह दी है कि वह कृषि कानूनों के समर्थन में कार्यक्रम करने से बचे।
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हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने बताया कि गृह मंत्री ने कहा है कि अगली सूचना तक कार्यक्रम को रोक दिया जाए। उन्होंने ने कहा कि करनाल में जो कुछ हुआ उसके बाद गृह मंत्री ने सरकार को सलाह दी है कि वो किसानों के साथ टकराव को ना बढ़ाएं। अमित शाह कि तरफ से यह सलाह करनाल के पास एक गांव में हुए घटना के बाद सामने आया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल के पास एक गांव में एक बैठक रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उनके हेलीकॉप्टर को उतरने नहीं दिया गया था।
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मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने किसानों पर निशाना भी साधा और कहा कि पूरे प्रदेश ने देखा कि किसानों ने किस तरह का व्यवहार किया, जब मुख्यमंत्री खट्टर एक सभा को संबोधित करने वाले थे। उन्होंने कहा कि वीडियो में किसानों को मंच पर उत्पात मचाते हुए देखा जा सकता है। किसानों ने पोस्टर और बैनर फाड़ दिए और मंच की कुर्सियों को भी उठाकर फेंक दिया। मुख्यमंत्री को बिना उतरे वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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उधर, कांग्रेस ने अमित शाह के फैसले पर तंज कसा है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, “ऐसे कानून भला किस काम के जिनके चलते सरकार का जनता में जाने से डर लगे? मोदी जी की कौन सी मजबूरी है जो वे अपनी सरकार को लोगों के बीच जाने से तो रोक रही है पर काले कानून वापस ना लेने पर अड़ी है? देशवासियों को जागना भी समझना भी होगा। अन्नदाता जाग चुके हैं।”
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