मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसान जहां नये कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार भी एक कदम भी पीछे नहीं हटने की जिद पर अड़ी है। हालांकि, किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार बैकफुट पर जरूर है और बार-बार बातचीत से समाधान निकालने की दुहाई दे रही है, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी की ओर से आंदोलन पर हमला भी जारी है।
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दरअसल बीजेपी ने किसान आंदोलन से निपटने के लिए मेगा प्लान बना लिया है। इस प्लान में सराकर और पार्टी की भूमिका तय है। सरकार जहां लोकतांत्रिक और कानूनी दायरे के अदर रहकर सधे कदम से आगे बढ़ेगी, वहीं पार्टी आक्रामक रुख अपनाते हुए आंदोलन पर हमलावर रहेगी। बीजेपी का शुरू से दावा है कि किसानों को विपक्ष के नेता बरगला रहे हैं और इस आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है।
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इसके तहत बीजेपी देश भर में 700 से ज्यादा प्रेस कॉन्फ्रेंस, चौपाल कार्यक्रम और जन संपर्क अभियान आयोजित कर किसानों को इन कानूनों के फायदों के बारे में समझाएगी। इसके लिए देश के हर जिले में अभियान चलेगा। शुक्रवार से ही बीजेपी ने अपनी योजना पर काम भी शुरू कर दिया है। बीजेपी का कहना है कि सरकार ने नया कानून किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया था, लेकिन विपक्षी पार्टियों ने किसानों को गलत जानकारी दी है। इसलिए किसानों को शिक्षित करने और उन्हें इस कानून के लाभ के बारे में बताने के लिए पार्टी ने यह योजना बनाई है।
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यह बिल्कुल नागरिकता संशोधन कानून पर हुए आंदोलन पर बीजेपी का रुख याद दिलाता है। सीएए प्रोटेस्ट से निपटने के लिए जो नीति बीजेपी और उसकी सरकार ने अपनाई थी, उसी नीति से किसानों के आंदोलन से भी निपटने की तैयारी है। ठीक उसी तरह बीजेपी की योजना पूरे देश मे जाकर नए कृषि कानूनों के बारे में अपना पक्ष रखना है और आम लोगों के बीच सरकार के पक्ष में माहौल बनाना और किसानों के खिलाफ एक पक्ष खड़ा करना है। इसकी शुरुआत बीजेपी नेताओं ने आंदोलन के पीछे विदेशी हाथ और खालिस्तान के समर्थन का दावा करते हुए कर ही दी है।
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